मोहल्ला डांस से लेकर छॉलीवुड और भोजलीवुड तक का सफर (शमशीर सिवानी)
निशांत उपाध्याय पूरे छॉलीवुड को उदास और चिंतित छोड़कर अब इस दुनिया को अलबिदा कह गये। 23 जून को रात्रि ढाई बजे उनके निधन की खबर लगते ही पूरा छॉलीवुड जहां शोक में डूब गया वहीं छॉलीवुड के लाखों दर्शकों को उदास कर गया तो छॉलीवुड के प्रसिद्ध निर्देशक सतीश जैन, मनोज वर्मा, संतोष जैन, मोहन सुंदरानी, लखी सुन्दरानी,सलीम खान, इरफान खान, प्रकाश अवस्थी, उत्तम तिवारी, नरेश केशरवानी सहित सभी निर्देशकों को भारी चिंतित में डाल दिया। छॉलीवुड का सबसे सर्वेश्रेष्ठ कोरियोग्राफर थे अब उनके बिना कैसे उनका काम चलेगा। हालांकि छॉलीवुड में चंदनदीप,दिलीप बैस,बिलास राऊत, मनोज दीप, नंदू तांडी सहित अन्य कई लोग है लेकिन जो फरफैक्टनेस निशांत उपाध्याय में था वह और किसी में नही है।
ऐसे हुई थी निशांत के कला की शुरूआत:
निशांत उपाध्याय काफी कम उम्र के थे और इनको डांस करने का बहुत शौक था। मोहल्ले में गणेश पूजा, दुर्गा पूजा में डांस करते थे। उसके बाद वे कोरियोग्राफर धज्जू कुंभकार के साथ जुडे और ये अपने अन्य कई दोस्ते के साथ बंटी चंद्राकर के क्रेजी चिप्स जो एक डांस ग्रुप (वर्तमान में इंवेंट)चलाते थे में उनके साथ जुड़ गये और उनके अंडर में मिलने वाले कार्यक्रमों में डांस करते थे। इसी दरम्यिान संजय महानंद जो वर्तमान में छॉलीवुड और भोजपूरी फिल्मों के सुपर कमेडियन है इन्होंने 1996 में संजय मैथिल के गु्रप ज्वाईन कर थियेटरे से जुडे और डांस के साथ एक्टिंग की बारिकियों को सीखे और इसके साथ ही वहीं आर्ट डिजाईनिंग का भी कार्य के अलावा कई चीजे सीखे और संजय मैथिल के साथ कई स्टेजों पर और कई नुक्कड नाटक हिन्दी और छत्तीसगढी में किये। निशंात शुरू से ही सभी चीजों को सीखने का जज्बा रखते हुए किसी भी चीजों को बड़ी ही बारीकी से देखते थे। इसी दरम्यिान सन 2001 में मोहन सुंदरानी छत्तीसगढी फिल्म मयारू भौजी बना रहे थे, उसमें निशांत ने आर्ट डिजाईनिंग का कार्य किया।
सतीश जैन द्वारा निर्देशित फिल्म झन भूलों मा बाप ला से मिला निशांत को रास्ता और बन गये सर्वश्रेष्ठ डांस डायरेक्टर
मयारू भौजी के बाद सतीश जैन मोर छहंहा भुइंया के बाद अपनी दूसरी फिल्म झन भूलो मां बाप ला बना रहे थे उसमें सभी गानों में निशांत उपाध्याय ने कोरस डांस किया और इस फिल्म में चेन्नई से डांस डायरेक्शन के लिए ताराजी और नटराजन को बुलाया गया था, उस दौरान डांस के साथ ही उन्होंने बड़े ही बारीकी से ये देखते थे कि ताराजी और नटराजन कोरियोग्राफी के कार्योँ को कैसे अंजाम तक पहुंचा रहे है। बस वही ठान लिये कि अब मुझे भी कोरियोग्राफी करना है,
और लग गये लाईन में और दिन रात मेहनत कर पहले एलबमों में उसके बाद फिल्मों में निशांत ने कोरियोग्राफी करने लगे और हमेशा अच्छा उससे भी अच्छा कैसे हो सकता है, इसके लिए घर में भी चिंतन मनन करने लगते और लोकेशन पर उसके बाद सर्वश्रेष्ठ पर सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करने लगे यही उनको लगातार आगे बढाता गया और वे छॉलीवुड के सबसे सर्वश्रेष्ठ कोरियोगाफर बन गये उसके बाद सतीश जैन के छत्तीसगढी फिल्मों के अलावा भोजपूरी फिल्मों में भी निशांत कोरियोग्राफी करने और भोजपूरी में भी निशांत का काम लोगों को पसंद आने लगा और उसके बाद लगभग एक दर्जन भोजपूरी फिल्मों में भी निशांत उपाध्याय कोरियोग्राफी कर वहां भी अपने कामों का लोहा मनवाया।
भोजपूरी के सुपर स्टार दिनेशलाल निरहुआ और खेसारी लाल सहित कई लोगों के फिल्मों में भी इन्होंने कोरियोग्राफी की। इस तरह अपने काम के बलपर इन फिल्म इंडस्ट्रीज के लोगों के दिल में ऐसा जगह बनाया कि आज लोग उनको भूल नही पा रहे है। हमारी ओर से भी आपको श्रद्धांजलि निशांत भाई। ईश्वर आपको अपने चरणों में जगह दे।