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छॉलीवुड को अपने अंगुलियों से नचाने वाले नही रहे कोरियोग्राफर निशांत उपाध्याय

छॉलीवुड न्यूज। छॉलीवुड को अपने ऊंगलियों पर नचाने वाले प्राख्यात डांस डायरेक्टर यानि कोरियोग्राफर निशांत उपाध्याय अपनी जिंदगी और मौत से जूझते हुए अंतत: इसबार हार गये, हालांकि छॉलीवुड सहित उनके सभी चहेतों को ये उम्मीद थी कि वे जिस प्रकार पहले दो बार जिंदगी और मौत से जूझते हुए जीत गये थे, इस बार भी जीत जायेंगे। लोग निशांत को जल्द स्वस्थ्य होने की दुआ कर रहे थे लेकिन बीती रात्रि 23 जून को 2.30 बजे रायपुर के महादेव घाट के पास स्थित एक निजी हॉस्पिटल में निधन हो गया। वे पिछले कई दिनो से अस्वस्थ चल रहे थे उनको लीवर की गंभीर बिमारी हो गई थी। मात्र 42 साल की उम्र में ही दुनिया से कूच कर गये।

उनके निधन की जानकारी मिलते ही देर रात से लगातार सोशल मीडिया में निशांत को श्रद्धांजलि देने का सिलसिला चल रहा है, जो यह बताता है कि वे किस तरह लोगों के दिलों में रचे बसे थे। उनके निधन से पूरा छॉलीवुड स्तब्ध है, क्योंकि छॉलीवुड अब उनके बिना अधूरा है। छॉलीवुड में उनकी जो जगह है वह कोई नही भर सकता। वे छॉलीवुड के सभी लोगों के चहेते तो थे ही कई भोजपूरी फिल्मों के डायरेक्टरों के भी चहेते थे और लगभग एक दर्जन भोजपूरी फिल्मों में भी उन्होंंने कोरियोग्राफी की है। उनके चाहने वालों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि छॉलीवुड के अलावा उनके चाहने वालों में उनका क्रेज इतना अधिक था कि अंतिम संस्कार में बूढापारा स्थित मारवाडी श्मशान घाट में उनको अंतिम बिदाई देने पूरा श्मशान घाट खचाखच भरा था।

मास्टर के दुनिया से चले जाने से पूरा छॉलीवुड उदास है।  निशांत भाई सतीश जैन, मनोज वर्मा, संतोष जैन एवं लखी सुंदरानी सहित छॉलीवुड के सभी फिल्म निर्देशकों के चहेते कोरियोग्राफर तो थे ही उनके चहेते एक्टर भी थे। वे जितने अच्छे कोरियाग्राफर थे उतने ही अच्छे एक्टर भी थे। वे कॉमेडी से लेकर कई प्रकार के करेक्टर करने में भी निपुण थे। मनोज वर्मा की राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हालिया रिलीज़ फिल्म भूलन द मेज़ में निशांत की ही कोरियोग्राफी थी और इसमें वे कलेक्टोरेट के कर्मचारी की भूमिका में भी नजऱ आए थे। वह जितने अच्छे कोरियोग्राफर थे उतने ही अभिनय में भी निपुण थे। छोटी भूमिकाएं करते रहने के बाद पहली बार उन्होंने सुंदरानी प्रोडक्शन की फिल्म जय महामाया 2002 में बड़ा  नेगेटिव किरदार निभाया था। फिर तो बड़े पर्दे पर नृत्य के साथ-साथ उनके अभिनय का सफर भी जारी रहा।

निशांत का बहुत ही छोटी उम्र से कला के प्रति रूझान था। जब वे नृत्य विधा से जुड़े तो पिता के विरोध का सामना करना पड़ा था। घर से विरोध होने केे बावजूद वे कला साधना में जुटे रहे। तब अलबम का दौर था। जब निशांत स्थापित हो गए तो पिता ने भी बेटे की प्रतिभा का लोहा माना। सन् 2000 से मोर छइंहा भुइंया से छत्तीसगढ़ी सिनेमा का दौर आया। फिर तो निशांत का छत्तीसगढ़ी सिनेमा से अटूट बंधन हो गया।

अंतिम संस्कार में ये हुए शामिल
छॉलीवुड के निर्देशक उत्तम तिवारी, शिवनरेश केशरवानी, राजा खान, प्रोडयूसर रॉकी दासवानी, अमित जैन, तरुण सोनी, छॉलीवुड नायक मन कुरैशी, प्रकाश अवस्थी, जीत शर्मा, संजय महानंद, पुष्पेंन्द्र सिंह, डॉ. अजय सहाय, सुनील तिवारी, योगेश अग्रवाल, योग मिश्रा, प्रमोद साहू, अलीम बंशी, गोल्डन साहू, रवि साहू, ललित उपाध्याय, जयेश कामवपरू,  दिनेश साहू, लाभांश तिवारी, योग मिश्र, अनिल सिन्हा, रिंकु रजा, गुलशन, दिलीप नामपल्लीवार, अनुराग शर्मा,पूरन किरी, बंटी चंद्राकर,  महेंद्र साहू, अलीम बंशी, शमशीर सिवानी, जसबीर कोमल, पीएन लक्की, दीपक टंडन, अनुपम वर्मा, आलेख चौधरी, अनिरुद्ध दुबे, दीपक बावनकर, मनीष मानिकपुरी, राजेश दुबे, राकेश तिवारी, सलीम खान सहित रायपुर, बिलासपुर सहित पूरे छत्तीसगढ से छॉलीवुड के लोग उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए।

निशांत के सबसे करीबी पुष्पेंद्र सिंह और संजय महानंद नहीं रोक पाए आंसूं
श्रद्धांजलि सभा के दौरान अभिनेताद्वय पुष्पेंद्र सिंह और संजय महानंद दो शब्द कहने के समय इतने भावुक हुए कि उनकी आंखों से आसुओं की धार बहने लगी। वे फफक पड़े और कुछ बोल नही पा रहे थे। पुष्पेंद्र ने कहा कि जब मेरे पास कोई काम नहीं था तो मैं परिवार समेत रायपुर आया। मैं होटल में रुका था। निशांत ने कहा था कि घर के रहते आप होटल में कैसे रुक सकते हैं। निशांंत ने परिवार समेत मुझे अपने घर में पनाह दी।

निशांत का दिया योगदान छॉलीवुड कभी नही भूल पायेगा-संजय महानंद
वहीं संजय महानंद ने रोते हुए कहा कि यकीन नही हो रहा है कि निशांत भाई हमारे बीच नही रहे। हम लोगोंं ने 1996 में संजय मैथिल जी के साथ जुडकर एक साथ थियेटर शुरू किय और एक साथ ही हम लोग झन झूलों मां बाप मा भी पूरे 45 दिनों तक साथ साथ काम किये। हम लोग हमेशा साथ साथ रहते थे, निशांत बहुत आ रहे है। उनके द्वारा छॉलीवुड को दिये गये योगदान को पूरा छॉलीवुड नही भूल पायेगा। महानंद ने निशांत को अद्वितीय बताया।

छालीवुड में निशांत का कोई विकल्प नहीं-सतीश जैन
श्रद्धांजलि सभा में निर्माता-निर्देशक सतीश जैन ने कहा कि निशांत से हमने कई चीज सीखी है। वो अक्सर कहता था कि टेक्नीकली स्ट्रांग बनने की जरूरत है। खास बात यह कि मैंने कई बार उसे अपनी मां से बात करते सुना है। वह मां से दोस्त की तरह बातें किया करता था। उसके बिना हम कैसे काम कराएंगे यह चिंता का विषय है।

हमेशा सर्वश्रेष्ठ देने का मकसद रहता था निशांत का-मनोज वर्मा
निर्माता-निर्देशक मनोज वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा में लगभग 90 प्रतिशत कोरियोग्राफी निशांत ने की है। उसके काम करने का अंदाज इतना निराला था कि परफेक्शन के नाम पर हमसे लड़ लेता था। उसका मकसद सदा सर्वश्रेष्ठ देने का रहा है। छालीवुड उसके बिना कैसे काम कर पाएगा यह भी चिंता का विषय है।

निशांत जैसा न कोई था, न है और होगा-अनुज शर्मा
अनुज शर्मा ने कहा कि निशांत जैसा न कोई था, न है और होगा। उन्होंने बड़ा काम किया लेकिन कभी जताया नहीं कि बड़ा है। यही उनकी खासियत थी।
कठिन काम को सरल तरीके से करवाना निशांत को आता था-राजेश अवस्थी
राजेश अवस्थी ने कहा कि कठिन से कठिन काम को सरल तरीके से करवाना निशांत को आता था।

छॉलीवुड इंण्डस्टी का इतिहास हमेशा याद रखेगा-लखी सुंदरानी
लखी सुंदरानी ने कहा कि निशांत हमसे 22 साल से जुड़ा रहा। उसने जो किया इंडस्ट्री का इतिहास याद रखेगा।

सभी कलाओं में निपुण थे निशांत: शमशीर सिवानी
निशांत सभी कलाओं में निपुण थे,वे जहां एक बहुत बढिया कोरियोग्राफर तो थे ही इसे अलावा एक जर्बदस्त कमेडियन से लेकर सभी प्रकार का करेक्टर आर्टिस्ट के साथ ही आर्ट डायरेक्टर और अन्य कई विधाओं में भी मास्टर थे निशांत भाई, कला उनमेें कूट कूट कर भरा था। मुझे डांस नही आता था उसके बाद भी उन्होंने इतने सरल तरीके से मुझे भोजपूरी फिल्म मिल गईली चंदनिया में डांस करवा लिये कि मुझे पता ही नही चला और उन्ही के कारण मुझे कान्फिडेंस आया कि मैं डांस भी कर सकता हूंँ।

छॉलीवुड में हुई रिक्कता को कोई नही भर सकता- ललित उपाध्याय
छत्तीसगढी और भोजपूरी फिल्मों के प्रसिद्ध एक्टर ललित उपाध्याय ने निशांत उपाध्याय को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मैँ और निशांत दोनो मितान थे और दोनो में याराना था। उनके कोरियोग्राफी में मया टू सहित कई फिल्मों में काम किया वे बड़े ही लजवाब व्यक्ति थे जहां सेट पर हंसी मजाक कर माहौल को खुशनुमा बनाये रखते थे वहीे जब अपने काम पर आते थे तो उतने ही एक दम कठोर हो जाते थे कोई यारी दोस्ती नही बस बढिया काम चाहिए रहता था उनको। छॉलीवुड में हुई उनकी रिक्कता को कोई नही भर सकता।

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