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गंभीर आरोप में सील की गई हॉस्पिटल में अचानक होने लगी लोगो की इलाज… तब…पढ़िए पूरी खबर

प्रशासनिक प्रक्रिया को पूर्ण किए बिना जिला प्रशासन की ओर से सील किए गए एके मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल को शुक्रवार की रात्रि को खोल दिया गया ,आलम यह है कि इस संबंध में कोई भी अधिकारी स्पष्ट रूप से बोलने को तैयार नहीं है आखिर लोगों में प्रश्न उठ रहा है कि बिना प्रशासन की सहमति के सील तोड़ कर कैसे हॉस्पिटल को सुचारू रूप से संचालित करना शुरू कर दिया गया, गौरतलब हो कि 5 लाख के इनामी नक्सली का इलाज करते पाए जाने पर कलेक्टर के आदेश पर अस्पताल को 9 जून को सील किया गया था , लेकिन अस्पताल की सील खोलने को लेकर वैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं करने पर सवाल खड़े हो रहे हैं पुलिस प्रशासन जहां इस मामले को लेकर बीते 1 सप्ताह से सवेंदनशीलता व गोपनीयता का हवाला देकर प्रकरण के सम्बंध में कोई भी जानकारी मीडिया से साझा नही की गई, परंतु गुपचुप तरीके से अस्पताल खोले जाने को लेकर प्रशासन की भूमिका पर शहर में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है ।
इनामी नक्सली इलाज कराते पकड़े जाने इस मामले ने जहां प्रदेश व जिले में हड़कंप मचा दिया था वही जांच अधिकारी के मौखिक आदेश पर सील बंद अस्पताल को खोल देने से प्रतीत होता है कि कहीं न कहीं मामले में लीपापोती की जा रही है

*कलेक्टर के आदेश बिना तोड़ी अस्पताल की सील, कर रहे मरीजों का इलाज*
अस्पताल को सील करने का आदेश कलेक्टर की ओर से दिया गया था । ऐसी स्थिति में अस्पताल की सील खोलने का आदेश भी कलेक्टर की ओर से दिया जाना था जहां कलेक्टर की ओर से अधिकृत अधिकारी की मौजूदगी में सील तोड़ने की कार्रवाई करने के साथ पंचनामा रिपोर्ट बनाई जाती है लेकिन उक्त प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है । शुक्रवार रात में गुपचुप तरीके से खोले गए एके मल्टी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल में शनिवार को मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया ।
👉कोई भी अधिकारी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं, जांच अधिकारी का फोन दिन भर रहा बंद

प्रकरण के जांच अधिकारी से जानकारी लेने के लिए फोन पर संपर्क किया गया लेकिन उनकी फोन लगातार बंद रही थी । इस संवेदनशील मामले में प्रशासन की घोर लापरवाही उजागर हुई है । जिसमें अस्पताल खोलने को लेकर कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है गौरतलब हो कि इनामी नक्सली के इलाज को लेकर अस्पताल प्रबंधन की भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर सील करने की कार्रवाई की गई थी ।

👉प्रत्यक्ष साक्ष्य को किया गया दरकिनार, बिना आदेश अस्पताल खोलने पर उठे सवाल
डोमार सिंह ग्राम सलधा के नाम से नक्सली को भर्ती किया गया था । ग्राम सलधा अस्पताल के डायरेक्टर प्रवीण साहू का ननिहाल है । ऐसी स्थिति में गांव के एक व्यक्ति के नाम पर इनामी नक्सली को अस्पताल में भर्ती किए जाने को लेकर अस्पताल प्रबंधन की भूमिका पर पुलिस प्रशासन स्पष्ट रूप से बोलने को तैयार नहीं है । वही नक्सली के केयरटेकर के रूप में 14 वर्ष का बच्चा भी उसके साथ मौजूद था । इन तथ्यों को दरकिनार कर अस्पताल को किस अधिकारी के आदेश पर खोला गया, यह जांच का विषय है ।

👉प्रथम दृष्टया संलिप्तता पाए जाने पर अस्पताल को किया था सील
कलेक्टर विलास भोस्कर संदीपान के निर्देश पर बेमेतरा एसडीएम दुर्गेश वर्मा, तहसीलदार आरके मरावी समेत अन्य अधिकारियों ने अस्पताल सील किया था । इस दौरान पुलिस टीम ने अस्पताल से वीडियो फुटेज के लिए डीव्हीआर, ओपीडी, आईपीडी और अटेंडेंस रजिस्टर को जब्त किया है । प्रशासन की ओर से की कार्रवाई की पंचनामा रिपोर्ट बनाई गई है । पंचनामा रिपोर्ट के अनुसार सिमगा रोड स्थित एके मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल को गुप्त रूप से इनामी नक्सली के उपचार हेतु भर्ती करने एवं प्रशासन एवं पुलिस को सूचना नही देने के परिणाम स्वरूप हॉस्पिटल को सील किया गया

👉हॉस्पिटल को कलेक्टर के आदेश के बिना खोला जाना गम्भीर कृत्य है, इस पर प्रशासन से जानकारी मांगी जाएगी _आशीष छाबड़ा विधायक

👉अस्पताल के डायरेक्टर की ओर से निवेदन किया गया कि अस्पताल में रखे कुछ महंगे सामान खराब हो जाएंगे, जिसके लिए उन्हें अस्पताल खोलकर सामान निकालने की अनुमति दी गई, ना कि संचालन की
धर्मेन्द्र सिंह :- पुलिस अधीक्षक बेमेतरा

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