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*चरित्र मानव धर्म की सबसे बड़ी पूंजी:- धर्मगुरु उमाकांत जी महाराज*

*(पेंड्री(धमधा) स्थित जयगुरुदेव आश्रम में आयोजित सत्संग में पहुंचे बाबा उमाकान्त जी महाराज, मानवता को लेकर दिए विभिन्न सन्देश)*

*बेमेतरा/देवकर-:* नगर समीपवर्ती धमधा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पेंड्री में स्थित बाबा जयगुरुदेव आश्रम में

सत्संग समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य धर्म गुरु उमाकांत जी महाराज ने कहा कि जयगुरुदेव नाम का जहाज परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने जगाया। मानवता के लिए समर्पित युग मसीहा ने आजीवन अथक परिश्रम करके करोड़ों लोगों को बदलकर भगवत भजन में लगाया। शाकाहार सदाचार और मद्य-निषेध के देशव्यापी और प्रबल प्रचार की जरूरत है। चरित्र मानव धर्म की सबसे बड़ी पूंजी है। चरित्र उत्थान तथा अच्छे समाज का निर्माण वक्त की मांग है।

 

एक-एक गांव गोद लेकर धर्म प्रचार करना और लोगों की भावनाएं मोड़ना बहुत बड़ा पुण्य कार्य है। भारतीय संस्कृति के उदात्त आदर्श ही इसे विश्व गुरु के रूप में सर्वमान्य करते हैं। जब अपनी संस्कृति, शिक्षा और आदर्श से दूर हो जाएंगे तो कौन उम्मीद की जाए कि समय अच्छा आएगा। समय तो अच्छा आने का संकेत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज बहुत ही पहले कर गए हैं, लेकिन उससे पहले कर्मों के कारण जो बुरे दिन आएंगे उसे पार करना एक प्रकार की अग्निपरीक्षा होगी।

 

उन्होंने कहा की आसन्न कर्म जनित संकटों व महा मारियों से बचाव चाहते हैं तो महात्माओं की अपील पर अमल करें सभी लोग मांस मछली, अंडे शराब आदि का खाना-पीना त्याग कर शुद्ध शाकाहारी, सदाचारी और नशा मुक्त बन जाएं तो प्रकृति अपना विनाशकारी रूख बदल सकती है। कहा कि मांसाहार और नशाखोरी दोनों ऐसे दु‌र्व्यसन हैं, जो हिसा, अपराध और कदाचार की बढ़ती घटनाओं के मुख्य जिम्मेदार हैं।

 

समाज में जनचेतना जगाने के लिए आध्यात्मिक और वैचारिक जागरण की बहुत बड़ी आवश्यकता है। देश में बदलाव महापुरुषों के उपदेशों और शिक्षा से आएगा। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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