धर्म

भागवत भक्ति, ज्ञान, वैराग्य का समुच्चय-हिमान्शु महाराज


लोरमी-भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन तथा सर्वोत्तम संस्कृति है।यहा के वेद ,पुराण, उपनिषद तथा महापुरुष जीवन जीने तथा मोक्ष प्राप्ति दोनो का ज्ञान कराते है।श्रीमद्भागवत तो भक्ति, ज्ञान, और वैराग्य का समुच्चय है।यह विचार कथावाचक डाक्टर सत्यनारायण तिवारी हिमान्शु महाराज ने गान्धीडीह निवासी गोकुल सिंह राजपूत के यहा श्रीमती बुद्धिदेवी राजपूत की समृति मे आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान व्यक्त किए। कथा मे वामन अवतार, श्रीराम, श्रीकृष्ण जन्म, रूख्मणी विवाह तथा सुदामा चरित्र की जीवंत झांकी प्रस्तुत किया गया। उक्त अवसर पर पंडित बलदाऊ प्रसाद त्रिपाठी, पंडित,नीरज तिवारी हनुमान सिंह, हरिश्चंद्र, ईश्वर सिंह ,वर्षाविक्रम सिंह, श्रीमती रानूसंजय केशरवानी, जवाहर साहू,रामकुमार केशरवानी,रामकुमार गुप्ता,विनयसाहू धनेश साहू,मनीष त्रिपाठी सहित सैकड़ो श्रद्धालुओ ने श्रीमद्भागवत कथा मे शामिल हुए।

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