ऑनलाइन परीक्षा दिलाने के चक्कर में कंही हम खुद को कॉम्पीटिशन से बाहर तो नहीं कर रहे Are we putting ourselves out of competition in the pursuit of getting online exams?
ऑनलाइन परीक्षा दिलाने के चक्कर में कंही हम खुद को कॉम्पीटिशन से बाहर तो नहीं कर रहे
कवर्धा -आज मेरा कुछ पालकों के साथ मुलाक़ात हुवा जंहा कई तरह के चर्चा परिचर्चा के दौरान ऑनलाइन परीक्षा दिलाने की बात चलने लगी चर्चा के दौरान सभी पालकों ने अपने -अपने बच्चों की दिनचर्या को लेकर चर्चा करना प्रारम्भ किये सभी पालकों का राय ऑनलाइन पेपर के पक्ष में नहीं था एक पालक है ओ अपनी बेटियों के बारे में बताये की मेरी दोनों बेटियां पिछले 2-3 माह से रात रात भर पढ़ाई करते थे हालात ये था की पुस्तक कॉपी को पढ़ते पढ़ते सो जाया करते थे इतनी चिंता पढ़ाई की के कोई और काम करने बोल दो तो नाराज हो जाते थे मगर जैसे ही उनको पता चला की परीक्षा ऑनलाइन होनी है पुस्तक कॉपी को देखना छोड़ दिये है, लगभग कुछ ऐसा ही प्रतिक्रिया सभी पालकों का रहा, मैं कोई सरकार के खिलाफ नहीं बोल रहा ना ही सरकार के फैसले पर सवाल उठा रहा हूं, लेकिन ज़ब कोरोना का कोई खतरा नहीं सभी स्कूल कॉलेज खुले हैँ और पिछले 5-6 माह से लगातार छात्र छात्राएं स्कूल जाकर अध्ययन कर रहे हैँ फिर ऑनलाइन परीक्षा होना कंहा तक जरुरी है ये सभी छात्रों को भविष्य को लेकर जरूर चिंतन मनन करना चाहिये , जिस तरीके से ऑनलाइन परीक्षा को लेकर होड़ मची है कहीं ना कहीं खुद के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है, ज़ब छात्र छात्राओं के दिमाग़ में ये बात बैठ जाती है की परीक्षा तो ऑनलाइन होनी है फिर पढ़ाई को लेकर ओ एकाग्रता नहीं रह जाती, पढ़ाई को लेकर जो जिज्ञासा होती है ओ ख़त्म हो जाती है क्योंकि हर छात्र छात्राएं हर पालक बड़े अच्छे से जानते हैँ की ऑनलाइन परीक्षा कैसे दिलाई जाती है, बात सिर्फ ये नहीं है की ऑनलाइन परीक्षा दिला के बच्चे परसेंट कितना लाएंगे, बात ये है की जिस क्लास का छात्र परीक्षा दिलाये हैँ उस क्लास से ज्ञान कितना अर्जित किये एवं आगे ज़ब नौकरी के तलास में निकलेंगे तो ये ऑनलाइन वाला रिजल्ट आपका काम कितना आयेगा , इन्ही छात्र छात्राओं को ज़ब भविष्य में कॉम्पीटिशन एग्जाम दिलाना होगा, बड़े बड़े दिग्गज छात्र छात्राओं के साथ एग्जाम रूम में बैठकर परीक्षा देंगे शायद तब ये ख्याल आयेगा की दिन रात पढ़कर पुस्तक के एक एक शब्द को दिमाग़ में सदैव के लिये डाउनलोड किया जाना ज्यादा जरुरी था या ऑनलाइन एग्जाम. ज़ब आदत ऑनलाइन की पड़ जायेगी तब शायद कॉम्पीटिशन एग्जाम के वक़्त दिन रात पुस्तक कॉपी के सामने बैठकर तैयारी करना बोझ लगने लगेगा और शायद उस दिन दिमाग़ में ये ख्याल बार बार दौड़ेगा की कास कोई राजनीतक दल ये मांग करे की कॉम्पीटिशन एग्जाम भी ऑनलाइन हो और घर में ही बैठकर हम कलेक्टर पुलिस अधीक्षक बड़े बड़े अधिकारी कर्मचारी प्राइवेट सेक्टर में ऑफिसर बन जायें, मगर ऐसे कभी संभव नहीं है जीवन में सफलता अर्जित करने के लिये कोई शार्टकट नहीं है, जो भी व्यक्ति सफल हुवा है या भविष्य में सफलता अर्जित करेगा उसके पीछे कड़ी मेहनत हमेशा काम आता है, मैं व्यक्तिगत सरकार के फैसले का विरोध नहीं कर रहा हूं लेकिन उन छात्र छात्राओं को अवगत कराना चाहता हूं जिनको जिंदगी में कुछ बनना हो और उनको लगता है की ऑनलाइन परीक्षा सही है उनको जरूर विचार करना चाहिये
अश्वनी यदु (सभापति जनपद पंचायत पंडरिया )के कलम से