परिवहन विभाग जहां चलती है दलालों की,आरटीओ दफ्तर में हर काम दलालों का मारफत से कराना पड़ता है, परिवहन अधिकारी की चुप्पी दलालों की चॉंदी,

जांजगीर-चांपा। जिले का परिवहन कार्यालय परिवहन अधिकारी के उदासीनता के चलते कुछ निजी लोगों के हाथों में चला गया है, जिसको लेकर परिवहन अधिकारी की उदासीनता खुलकर लोगों के सामने आने लगी है। परिवहन कार्यालय में परिवहन अधिकारी से ज्यादा दलालों की चलती है, ऐसा हम नहीं यह तस्वीरें बयां कर रही हैं जो जिले के परिवहन कार्यालय से सामने आई है। प्रदेश सरकार ने परिवहन विभाग की अधिकांश सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया है, लेकिन विभाग को दलालों के चंगुल से मुक्ति नहीं मिल पा रही है। आलम यह है कि ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर वाहन हस्तांतरण और परमिट, नवीनीकरण समेत तमाम काम दलालों के जरिए ही हो रहे हैं। इससे लोगों को शासन द्वारा तय शुल्क के अलावा अलग से मोटी रकम चुकानी पड़ रही है। ऑनलाइन प्रक्रिया के दौरान ही आवेदक को दलाल तमाम प्रलोभन देकर वसूली करते है। ऐसा नही है कि परिवहन कार्यालय का कामकाज किसी से छिपा है। विभागीय अफसरों की सांठगांठ व अनदेखी के चलते सरकार की योजना फेल हो रही है। जनता अगर दलालों के पास ना जाकर स्वयं लाइसेंस बनवाने की ठान लेता है तो उसे एक लाइसेंस बनवाने कई महीने लग जाते हैं,लेकिन वही लाइसेंस दलालों से सप्ताह भर के भीतर लोगों को आसानी से मिल जाता है।यही कारण है की दलालों के चंगुल से लोग निकल नही पा रहे। और जिम्मेदार अफसरों व दलालों की मिलीभगत से लोगों को लूटने का सिलसिला परिवहन कार्यालय में कई वर्षों से बदस्तूर जारी है। सोमवार को हमारे संवाददाता कान्हा तिवारी ने परिवहन विभाग के दफ्तर में योजनाओं की हकीकत जानने पहुंचे तो ऑफिस के अंदर जो खुलासे हुए वह काफी चौकाने वाले थे। सुबह से ही दलाल आफिस के पास अपनी दुकान चालू कर देते हैं, जिसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि दफ्तर पूरी तरह दलालों के गिरफ्त में है।
जटिल प्रक्रिया बन रही आफत
प्रदेश सरकार ने परिवहन विभाग की सेवाएं ऑनलाइन भले ही कर दी हैैं, लेकिन विभाग में होने वाले तमाम आवेदन पत्र में काफी जटिलताएं हैं। हालात यह हैं कि ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर वाहन नवीनीकरण कराने का आवेदन पत्र आवेदक खुद भर नहीं सकते। इसके चलते आवेदकों को दलालों की शरण लेनी पड़ती है। इसका बेजा फायदा कथित दलाल भरपूर उठाते हैं।
वाहन हस्तांतरण के लिए होती है मोटी रकम वसूली
वाहन को हस्तांतरण कराने के लिए भी दलालों ने रेट फिक्स किए हुए हैं। परिवहन कार्यालय के बाहर छोटे-छोटे काउंटर लगाकर और वाहनों में पूरा खेल चलता है। जिन कामों के लिए आवेदक एक-एक महीने तक भटकते हैं, वे काम दलाल आसानी से कुछ दिनों में कराने का दावा करते हैं। हमने एक और दलाल उमेश कुमार से वाहन हस्तांतरण को लेकर बात की, तो उसने बताया कि जहां से गाड़ी हस्तांतरण होनी है, वहां की एनओसी और अन्य दस्तावेज के साथ एक हजार रुपये में यह काम सात दिन में हो जाएगा। जबकि सरकार ने हर वाहन के डेढ़ सौ रुपये से लेकर 750 रुपये तक शुल्क तय किया है।
फिटनेस को लेकर भी चलता है खेल
आरटीओ कार्यालय में रोज करीब 50 से अधिक वाहन फिटनेस के लिए पहुंचते हैं। यहां पर भी दलालों का पूरा राज कायम है। सरकार ने फिटनेस के लिए 400 रुपये से लेकर 600 रुपये तक शुल्क तय किया है। लेकिन दलाल इसके लिए वाहन स्वामियों से एक हजार रुपये वसूल करते हैं। दलाल ही वाहन स्वामी के कागजात लेकर विभाग के पटलों पर पहुंचते हैं। इन पर लगाम लगाने में विभाग पूरी तरह से नाकाम है।
दो से ढाई हजार में बन रहा ड्राइविंग लाइसेंस
सरकार ने लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए 200 रुपये और परमानेंट लाइसेंस के लिए 300 रुपये तय की है। इसके लिए निर्धारित टेस्ट प्रक्रिया, बायोमेट्रिक प्रणाली और ड्राइविंग टेस्ट देना होता है। विभाग में दलाल यह काम 2500 रुपये लेकर आसानी से करा देते हैं। इसके लिए आवेदक को न तो ड्राइविंग टेस्ट देना होता है और न ही ऑनलाइन टेस्ट होता है। केवल आवेदक को बायोमेट्रिक प्रक्रिया के लिए आना होता है। वहीं ड्राइविंग लाइसेंस के लिए स्लॉट तक दलाल अपने हिसाब से तय करा लेते हैं। इसके साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यूअल का दो सौ रुपये शुल्क है। जबकि दलाल इसे एक हजार रुपये में करा देते हैं। कार्यालय में घूम रहे एक दलाल ने नाम नही छापने की शर्त पर बताया कि बस दस्तावेज देने होंगे और स्लॉट मिलने पर बायोमेट्रिक देने आना होगा। इसके बाद लाइसेंस मिल जाएगा।
जो करना है करो -परिवहन अधिकारी
परिवहन विभाग में चल रहे झोलझाल मामले में जिला परिवहन अधिकारी आंनद शर्मा ने कुछ भी कहने से साफ मना कर दिया।वहीं मीडिया को ही नसीहत देते हुए कुछ भी कर लेना की बात कही,इससे एक बात तो साफ हो गया कि परिवहन विभाग में दलालों की सक्रियता अधिकारियों के संरक्षण में हो रही है, जिसका खामियाजा आम जनता को परिवहन संबंधित मामलों में भारी रकम चुका कर अदा करना रहा है।बहरहाल अब देखना होगा की शासन की छवि लगातार धूमिल कर रहे अधिकारियों पर क्या संबंधित मंत्री कोई कार्यवाही करेंगे या फिर इस पूरे मामले में चुप्पी साधे रहेंगे।