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*उच्च पद में टिकने के लिए सभ्यता, नम्रता, बुद्धिमत्ता सेवा,परोपकार, दान ,दया आदि उत्तम गुण आवश्यक – ज्योतिष*

बड़े-बड़े महारथी अनेक बार उच्च पद पर पहुंच तो जाते हैं, परंतु वे वहां बहुत समय तक टिक नहीं पाते। क्योंकि वहां पर टिकने के लिए सभ्यता नम्रता बुद्धिमत्ता सेवा परोपकार दान दया आदि उत्तम गुणों की आवश्यकता होती है। इन गुणों के अभाव में वे बेचारे शीघ्र ही पतित हो जाते हैं।”

पढ़ाई-लिखाई, खेलकूद, विज्ञान, कला आदि अनेक क्षेत्रों में ऊंची उन्नति करना सरल काम नहीं है, बहुत कठिन है। फिर भी बहुत से ऐसे मेहनती लोग संसार में देखे जाते हैं, जो उक्त क्षेत्रों में खूब परिश्रम करके उच्च पदों पर पहुंच जाते हैं। बड़ी बड़ी प्रतियोगिताओं को जीत लेते हैं। प्रथम द्वितीय स्थान प्राप्त कर लेते हैं। अनेक बार गोल्ड मेडल भी प्राप्त कर लेते हैं। “इतनी सब उन्नति करने के बाद भी, एक दोष प्रायः उनमें उत्पन्न हो जाता है, जिसका नाम है ‘अभिमान’। इस अभिमान के दोष के कारण उनमें अन्य बहुत से और दोष भी साथ साथ चले आते हैं।

जैसे आजकल बाजार में स्कीम चलती है, “2 साबुन खरीदो तो तीसरा फ्री में मिलेगा।” “इसी प्रकार से अभिमान भी एक ऐसा ही दोष है, जिसको ग्रहण करने पर इसके साथ एक नहीं, बल्कि अनेक दोष फ्री में मिलते हैं।”इस अभिमान के साथ-साथ आने वाले दोष हैं, “असभ्यता क्रूरता दुष्टता छल कपट धोखाधड़ी बेईमानी इत्यादि। ये सब दोष साथ में फ्री मिलते हैं।”और बस इन दोषों के कारण व्यक्ति का पतन हो जाता है। उसका स्तर नीचे गिरता जाता है। पहले जिसने जितनी सभ्यता नम्रता आदि गुणों के कारण से पुरुषार्थ करके कुछ विशेष योग्यता प्राप्त की थी, इस अभिमान के कारण, वे सारे गुण नष्ट हो जाते हैं। और कुछ ही समय में उसका धन संपत्ति सम्मान आदि सब नष्ट हो जाता है। समाज में प्रतिष्ठा भी नष्ट हो जाती है।

इस संदर्भ में महर्षि मनु जी कहते हैं, कि *ऐसा व्यक्ति पहले तो फलता फूलता है। परन्तु अधर्म का आचरण करने के कारण बाद में वह वृक्ष के समान जड़ सहित उखड़ जाता है। अर्थात समूल (पूरी तरह से) नष्ट हो जाता है।

ज्योतिष कुमार ।।

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