संक्रान्ति पर्व में स्नान व दान का बहुत अधिक महत्त्व बताया गया है – आचार्य पं. झम्मन शास्त्री
पीठाधीश्वरजी महाराज के कृपापात्र शिष्य
प्रख्यात प्रवक्ता
आचार्य पं. झम्मन शास्त्री पाठपरिषद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेशाध्यक्ष
विक्रम संवत 2078 , शक 1943
पौष मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि, शुक्रवार , रोहिणी नक्षत्र , शुक्ल योग , बालव करणे तदनुसार
14 जनवरी 2022 को, दोपहर 2.28 बजे
सूर्य का मकर राशि मे प्रवेश हुआ। इसे ही मकर संक्रान्ति कहा जाता है। शास्त्रों में संक्रन्ति का पुण्यकाल 6 घण्टे पूर्व से लेकर 6 घण्टे बाद तक बताया गया है इसलिये इसका पुण्य काल 14 तारीख शुक्रवार को सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन भर मनाया जायेगा।
दक्षिण दिशा में गमन , नैऋत्य कोण में दृष्टि
वाहन – व्याघ्र, उपवाहन – अश्व, आयुध – गदा, वस्त्र – पीला रंग, पात्र – रौप्य, भक्षण – दूध, कुंकुम – लेपन, आभूषण – कंकण,
कुमार – अवस्था
राशि अनुसार संक्रांति का फल –
मेष – शुभ , वृषभ – सुख , मिथुन – व्यय ,
कर्क – लाभ , सिंह – लाभ , कन्या – यात्रा ,
तुला – स्वास्थ्य बाधा , वृश्चिक – दाम्पत्य सुख ,
धनु – लाभ , मकर – सुख , कुम्भ – स्वास्थ्य विकार मीन – लाभ ।