डॉक्टरों का कहना है, ‘जो कॉमन लक्षण के साथ मरीज आ रहे हैं वो फ्लू जैसे लक्षण के साथ आ रहे हैं, जैसे गले में खराश, थोड़ा शरीर में दर्द है Doctors say, ‘The patients who are coming with common symptoms are coming with flu-like symptoms, like sore throat, there is little body ache,
कोरोना ओमिक्रॉन के संकट में घर पर इलाज को लेकर कई तरह के सवाल हैं। ऐसे में विशेषज्ञों से यह जानना बेहद जरूरी है कि घर पर इलाज कैसे लेना है।
होम आइसोलेशन में कई लोग इलाज करवार रहे हैं। लेकिन ऐसे में डॉक्टर की सलाह पर ही दवाइयां लेनी चाहिए।
दरअसल, पैरासिटामोल के इस्तेमाल को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि आप डॉक्टर की सलाह के हिसाब से ही अपना इलाज करवाएं।
साथ ही इस बार डॉक्टर्स का दवाइयां देने का पैटर्न भी अलग है और दूसरी लहर की तरह लोगों को ट्रीटमेंट नहीं दिया जा रहा है।
मौजूदा स्थिति में कोरोना के इलाज को लेकर एम्स के डॉक्टर अंजन त्रिखा ने आकाशवाणी समाचार को बताया है, ‘धीरे-धीरे पिछले 2 सालों में हम इस बीमारी के बारे में बहुत कुछ जान पाए हैं और ऐसे बहुत सारे इलाज हैं जो शुरू हुए थे, फिर धीरे धीरे हमें पता चला कि उनकी जरूरत नहीं है।
आज ओमिक्रॉन के साथ जो इंफेक्शन हो रहा है, इसमें जो लोग होम आइसोलेशन में हैं, उनको बुखार बढ़े तो पानी से सिंकाई कर लें और सिंपटोमैटिक इलाज करें’
डॉक्टर त्रिखा ने बताया, ‘पिछली लहर के दौरान जो विटामिन सी, जिंक और ऐसी बहुत सारी दवाइयां खा रहे थे और इतनी तादाद से खा रहे थे कि ये दवाइयां बाजार में मिलनी मुश्किल हो गई थीं, अब इन दवाइयों की सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार जरुरत नहीं है जब तक कि किसी और वजह से न खानी पड़ें।
अगर पैरासिटामोल लेने के बाद भी बुखार ठीक नहीं होता है, 3-4 दिन हो गए हैं तो अपने डॉक्टर से बात कीजिए, अगर सांस लेने में तकलीफ हो या आपका सैचुरेशन लेवल गिरे तब आप डॉक्टर से बात कीजिए या अस्पताल जाइए।
डॉक्टरों का कहना है, ‘जो कॉमन लक्षण के साथ मरीज आ रहे हैं वो फ्लू जैसे लक्षण के साथ आ रहे हैं, जैसे गले में खराश, थोड़ा शरीर में दर्द है, थोड़ा सा बुखार है, बिल्कुल फ्लू वाले लक्षण के साथ लोग आ रहे हैं।
फिर दूसरे ऐसे लोग आ रहे हैं, जिन्हें और कोई बीमारी थी, जैसे कैंसर, गुर्दे की बीमारी, जिन्हें डायलिसिस की जरूरत है। तो अस्पताल में वो लोग भर्ती हो रहे हैं, ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जिन्हें और बीमारियां हैं’
जो आईसीयू में हैं, जो वेंटिलेटर में हैं, उन्हें बहुत ही मुश्किल बीमारियां हैं, जैसे कोई लाइलाज कैंसर है, गुर्दे की बीमारी में दोनों किडनियां खराब हो गई हैं। बाकी लोग जो वार्ड में है वो स्टेबल हैं, किसी का बुखार नहीं जा रहा, किसी का बदन दर्द इतना है कि उसे इंजेक्शन की जरूरत है और कुछ लोग ऐसे जो घर में आइसोलेट नहीं कर पाते हैं।