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*”सिर्फ वर्तमान को ही न देखें। अपने भविष्य को भी संभालें – ज्योतिष ।*

प्रत्येक व्यक्ति अपने वर्तमान को भी अच्छा (सुखमय) बनाना चाहता है, और भविष्य को भी। उसका भविष्य इस बात पर निर्भर करता है, कि उसका वर्तमान कैसा है?

यदि आज वह अच्छा काम कर रहा है, तो संभावना की जा सकती है, कि उसका भविष्य भी अच्छा होगा। और यदि आज वह अच्छा काम नहीं कर रहा, तब तो गारंटी है, कि उसका भविष्य अच्छा हो ही नहीं सकता। “भविष्य शब्द का तात्पर्य केवल इसी जन्म के 5/10 वर्ष आगे तक की बात न समझें। बल्कि अगले जन्म/जन्मों तक भविष्य शब्द का अभिप्राय है। यदि झूठ छल कपट चालाकी बेईमानी करेंगे, तो वर्तमान जीवन का भविष्य तो बिगड़ेगा ही, साथ ही साथ अगले जन्मों में भी वह अत्यंत दंड/दुख भोगेगा।”

क्योंकि संसार में सब लोग मूर्ख नहीं हैं। और न ही सब को सदा मूर्ख बनाया जा सकता है।”कुछ लोग धूर्त (चालाक) होते हैं, वे दूसरों को अपनी चतुराई से / चालाकी से कुछ समय तक मूर्ख बना सकते हैं। परंतु दूसरे व्यक्ति भी कुछ दिनों में उन लोगों की चालाकी को समझने लगते हैं। इसलिए सदा किसी की चालाकी नहीं चलती। जब दूसरे लोग उस व्यक्ति की चालाकी को समझ लेते हैं, तो उसका पतन आरंभ हो जाता है। धीरे-धीरे उसे समाज का सहयोग मिलना कम हो जाता है, और तब उसे दंड/दुख भोगना पड़ता है। समाज के लोग तो केवल इसी जन्म तक उसे दंड/दुख देंगे। परंतु ईश्वर तो अगले जन्म/जन्मों तक भी उसे नहीं छोड़ेगा। उसके जितने पाप होंगे, उसी के अनुसार उस मूर्ख और दुष्ट व्यक्ति को ईश्वर दंड देगा।”

“इसलिए सभ्यता से बुद्धिमत्ता से दूरदर्शिता से न्यायपूर्वक व्यवहार करना चाहिए, अन्यथा कुछ समय के पश्चात धूर्त/चालाक व्यक्ति का भविष्य बहुत ही खराब हो जाएगा, और उसे चारों ओर से दंड/दुख भोगना पड़ेगा। इस बात को भी अवश्य ही ध्यान में रखें – *ज्योतिष*

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