Uncategorized
सुबह से बरसते पानी पर जांजगीर चाम्पा के युवा छत्तीसगढी कवि अनुभव तिवारी की तात्कालिक रचना

किंदरत किंदरत करिया बादर देखा अकास म भरगे जी!
सूरूज लुकागे,चंदा लजागे का अँधियारी पसरगे जी!!
बरी ,बिजौरी रोए लागिन धान मंडी म कलपत हे !
झिमिर झिमिर बिनहा ले पानी देखा कइसे बरसत हे !!
बूता काम अकाम होगे जीव सांसत म परगे जी !
किंदरत किंदरत करिया बादर देखा अकास म भरगे जी!!
घर म बइठे जांगर थक गे, कोरोना बाहिर म दउडावत हे!
पारा परोस म बगरे हे बीमारी मनखे घर म लुकावत हे !!
रोजी रोटी कइसे चलही पइसा कउडी सब झरगे जी!
किंदरत किंदरत करिया बादर देखा अकास म भरगे जी!!
सावन के भोरहा म तरिया के बेंगवा नरियावत हे !
पूस मास म रखिया तरोइ देखा फेर इतरावत हे !!
रबी के पानी ले पहिली करिया बादर बरसगे जी !!
किंदरत किंदरत करिया बादर देखा अकास म भरगे जी!
स्वरचित ….अनुभव तिवारी खोखरा जांजगीर