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*”अच्छा काम करते समय व्यक्ति की सोच कुछ और होती है। और बुरा काम करते समय उसकी सोच कुछ और होती है – ज्योतिष ।*

संसार में बहुत सी आश्चर्य की बातें हैं। उनमें से एक बात यह है, कि *”व्यक्ति जब अच्छा काम करता है, तो वह यह सोचता है, कि भगवान मुझे देख रहा है। उस समय वह बहुत सावधान तथा उत्साहित होता है। उसे समाज की ओर से भी धन सम्मान प्रोत्साहन आदि मिलने की आशा रहती है। परंतु जब वह बुरा काम करता है, तब इन सब बातों को भूल जाता है, कि *”मैं गलत काम कर रहा हूं। भगवान मेरे कर्मों को देख रहा है। वह मेरे कर्मों का हिसाब रखेगा। समय आने पर दंड भी देगा। यह जो काम मैं कर रहा हूं, यह ईश्वर के संविधान के भी विरुद्ध है, और समाज के रीति रिवाज परम्पराओं से भी विरुद्ध है।

वास्तव में व्यक्ति पाप कर्म करते समय जानता है, समझता है, कि *”मैं गलत कर रहा हूं।”* फिर भी स्वयं को वह रोक नहीं पाता। एक व्यक्ति ने पूछा कि “वह स्वयं को क्यों नहीं रोक पाता?”मैंने उत्तर दिया, क्योंकि उसे पाप करने में सुख मिलता है। यदि पाप करते समय उसे सुख न मिलता, तो वह पाप क्यों करता? पाप करने के बाद भले ही उसे समय आने पर दंड मिलेगा। परन्तु इस बात को वह समझता ही नहीं, कि आने वाले समय में मुझे इस पाप का दंड भोगना पड़ेगा। इसलिए वह पाप करता है।

जिसको यह समझ में आ जाता है कि मैं जो भी पाप करता हूं, चाहे छिपकर करूं, चाहे सबके सामने करूं, उसका कभी न कभी मुझे दंड भोगना ही पड़ेगा। चाहे माता पिता दंड देवें, समाज दंड देवे, चाहे राजा दंड देवे, चाहे ईश्वर दंड देवे, मेरे इस पाप कर्म का कभी न कभी कुछ न कुछ दंड अवश्य मिलेगा। फिर वह व्यक्ति पाप नहीं करता, गलती नहीं करता।

तो वेदों के अनुसार, ऋषियों के संदेश के अनुसार, हम सब को इस बात को अच्छी तरह समझना चाहिए, कि किया हुआ कर्म कभी निष्फल नहीं होता। समय आने पर अवश्य ही उसका फल मिलता है। चाहे इस जन्म में मिले, चाहे अगले जन्मों में मिले। कर्म के फल से कोई भी बच नहीं सकता। वह तो भोगना ही पड़ेगा। इस प्रकार से बार-बार चिंतन करें। विचार करें, और इस गंभीर बात को समझने का प्रयत्न करें, जिससे कि “सब लोग पाप से बचकर पुण्य कर्म करें। अपना भविष्य सुधारें, और सब दुखों से छूट कर पूर्ण आनंद की प्राप्ति कर सकेंं।”

—- *ज्योतिष कुमार।*

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