अनुच्छेद 370 क्या था अब क्या होगा जानिए पूरी खबर
सबका संदेश न्यूज़ नई दिल्ली से पवन कुमार की खबर
नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव के लागू होने पर क्षेत्रफल के लिहाज से जम्मू-कश्मीर के बाद लद्दाख देश का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र शासित प्रदेश (UT) होगा। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के कई प्रावधानों को केंद्र सरकार द्वारा निष्प्रभावी घोषित किए जाने के साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने संबंधी विधेयक को राज्यसभा में मंजूरी मिल गई। केंद्र शासित प्रदेश बनने के साथ ही अब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या भी बढ़कर 107 से 114 हो जाएगी। इसको लेकर जहां जम्मू-कश्मीर के मुख्य राजनीतिक दलों पीडीपी और नैशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली तो वहीं केंद्र सत्ता पर काबिज बीजेपी के खेमे में जश्न का माहौल दिखा। बीजेपी नेताओं का मानना है कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने की मांग काफी समय से चल रही थी। केंद्र शासित प्रदेशों की फेहरिस्त में दो नए राज्य जुड़ने का मार्ग प्रशस्त होने के बाद अब केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या 9 हो जाएगी। इनमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के अलावा दिल्ली, पुदुचेरी, दमन और दीव, दादर एवं नगर हवेली, चंडीगढ़, लक्षद्वीप और निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं।
गौरतलब है कि मौजूदा समय में सिर्फ दिल्ली और पुदुचेरी में विधानसभा हैं, लेकिन अब जम्मू-कश्मीर भी विधानसभा वाला तीसरा केंद्र शासित प्रदेश हो जाएगा। आपको बता दें कि विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल की जगह उपराज्यपाल होते हैं। वहीं, केंद्र शासित प्रदेशों से संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के लिए सदस्य भी चुने जाते हैं। वह बात अलग है कि इनकी संख्या हर राज्य में अलग-अलग होती है। सांसदों की संख्या के लिहाज से दिल्ली नबंर एक पर है। संसद में दिल्ली का प्रतिनिधित्व 7 लोकसभा और 3 राज्यसभा सदस्य करते हैं।
,अनुच्छेद 370 हटाकर ऐतिहासिक गलती सुधारी गई : कांग्रेस नेता जनार्दन द्विवेदी
पांच अगस्त (भाषा) वरिष्ठ कांग्रेस नेता जनार्दन द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित क्षेत्रों में बांटने के केंद्र सरकार के कदम का समर्थन किया और अपनी पार्टी के रुख के विपरीत राय रखते हुए कहा कि सरकार ने एक ‘‘ऐतिहासिक गलती’’ सुधारी है। द्विवेदी ने कहा कि यह राष्ट्रीय संतोष की बात है कि स्वतंत्रता के समय की गई गलती को सुधारा गया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत पुराना मुद्दा है। स्वतंत्रता के बाद कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नहीं चाहते थे कि अनुच्छेद 370 रहे। मेरे राजनीतिक गुरु राम मनोहर लोहिया शुरू से ही अनुच्छेद 370 का विरोध करते थे। मेरे व्यक्तिगत विचार से तो यह एक राष्ट्रीय संतोष की बात है।’’ गौरतलब है कि सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने संबंधी अनुच्छेद 370 समाप्त करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों…. जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने का फैसला किया है। इससे संबंधित दो संकल्पों एवं एक विधेयक को सोमवार को राज्यसभा की मंजूरी मिल गयी।