पुलिस विभाग को समर्पित फिल्म संघर्ष से होने वाली आय को बाटेेंगे पुलिस जवानों के बीच- आरक्षक निषाद कहा आईपीएस शशि मोहन अच्छे अफसर के साथ मेरे रोल मॉडल
भिलाई। जिला पुलिस बल दुर्ग में पुलिस लाईन में आरक्षक पद पर पदस्थ कमलेश कुमार निषाद ने नक्सल हमले में शहीद हो रहे जवानों व मुखबिरों की हो रही हत्या व कम मिल रही राशि पर अपना दर्द छलकाते हुए कहा कि शासन प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराने का मेरे द्वारा प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने आगे बताया कि पुलिस विभाग को समर्पित एक मूवी जिसका नाम संघर्ष है। जो कि 7 से 8 चेप्टर में रिलीज होगी। इसके लिए कोई भी एनजीओ या फिल्म डायरेक्टर उनसे सीधे संपर्क करके इसे बना सकता है। यह पूरी पुलिस जवानों पर आधारित ये मूवी रहेगी। और पुलिस विभाग को समर्पित होगी।
इससे होने वाली आय का 50 प्रतिशत भाग नक्सल क्षेत्र (झीरम घाटी, मदनवाड़ा इत्यादी) में शहीद हुए जवानों के परिवार को देंगे। मुखबिर, मुखबिरी के शक में नक्सलियों के हाथों ना मारा जाए। चंूकि एन मौके पर पुलिस भी उस मुखबिर को अपना मुखबिर मानने से बचती है। और तो और नक्सलियों के हाथो उनकी परिवार के जान को भी खतरा रहता है। ऐसे परिवारों को भी वें इस राशि को देंगे।
मुखबिरों को जो शासन कम पैसा देता है उन्हें मैं इस फिल्म से जो आय होगी उससे दूंगा।
चूंकि नक्सल क्षेत्र में जवान काफी डिपरेशन में है, जवान सुसाईड न करे। ये मेरी अपील है। चूंकि जवान मेंटल ट्रार्चर ज्यादा हो रहे है। उन्होंने बताया कि एक तो परिवारिक कारण व प्रशासन के रवैये से, ऐसे मामले में वरिष्ठ अफसरों को ध्यान देना चाहिए। उनकी समस्याओं को उनसे पूछनी चाहिए। जब जवान संतुष्ट होगा तो वह सही ढग़ से अपनी नौकरी कर पायेगा। मैने राजनांदगांव में नक्सल क्षेत्र के जवानों के साथ डयूटी की है उनकी सुख और दुख को करीब से देखा है। आईपीएस शशिमोहन सिंह, पुलिस विभग के अच्छे अफसर है और मेरे रोल मॉडल है। लेकिन इस फिल्म में उनका कोई योगदान नही है।
देश के नक्सल प्रभावित राज्यों में अलग अलग पॉलिसी होती है। जिसमें नक्सली मारो और प्रमोशन पाउ। और दूसरी नक्सली आत्मसर्पण करने के बाद उन्हें सहायक आरक्षक बनाकर नक्सलियों की माद में पहुंचकर उन्हें खत्म करना मेन मकसद होता है। लेकिन जवान हो या नक्सली पहले तो एक इन्सान है। पुलिस का नेटवर्क कही कमजोर नही है। सिर्फ और सिर्फ आज के समय में इंसान की सोच कमजोर हो गई है। मेरी इस फिल्म में किसी भी प्रकार का जाति धर्म समप्रदाय का लेना देना नही है।