आर एन रामाराव की पहल लाई रंग, अब हिमोफिलिया के मरीजों को दूसरे शहर जाने की नही होगी आवश्यकता

भिलाई। लाइलाज बीमारी हीमोफिलिया से ग्रसित दुर्ग जिले के पेसेंट जिन्हें इलाज हेतु दूसरे शहरो या अन्य प्रदेशों में जाना होता था उनके लिए यह खबर राहत लेकर आयी है कि अब दुर्ग अस्पताल में हीमोफीलिया मरीजों को लगने वाली औषधि फेक्टर 8 और फेक्टर 9 उपलब्ध हो गई है। आज दुर्ग अस्पताल में 150 फेक्टर इंजेक्शन मिले इस बिमारी के जो भी मरीज होंगे वे दुर्ग अस्पताल में शीघ्र संपर्क कर अपना फेक्टर लगवा सकते है।
इस बिमारी से ग्रसित लोगों को आगे के लिए भी कोई परेशानी नही होगी। इस के उपलब्ध कराने में समाज सेवी पत्रकार आर एन रामराव एवं हीमोफीलिया सोसायटी छत्तीसगढ़ के प्रयास सराहनीय रहे हैं साथ ही यह तब संभव हो पाया जब दुर्ग अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी गंभीर सिंह ठाकुर ने मरीजों की बातो और परेशानियों को गौर से सुना, उनकी तकलीफों का आँकलन करते हुए शीघ्रता से कदम उठाते हुए सभी कार्यवाहिया पूर्ण करवाई। जिसके परिणाम स्वरूप वर्षो से फेक्टर के लिए तरसते मरीजों को राहत मिली।
इस बिमारी से ग्रसित कुछ मरीजों से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि इसके लिए हमें दूसरे शहर जाना पड़ता था कभी वहां यह फेक्टर रहता था कभी नही रहता था, इसके कारण हमें काफी परेशानी होती थी हमें आर एन रामाराव के बारे में पता चला कि वे सभी प्रकार के मरीजों को उचित सलाह देकर स्वयं लेजाकर उस बिमारी के डॉक्टरों से दिखाकर दवा भी दिलवाने का काम करने से लेकर सभी तरह की मदद पिछले 30 सालों से कर रहे हैं।
उसके बाद हम लोग अपनी इस परेशानियों को लेकर आर एन रामाराव से मिले और अपनी परेशानी उनको बताई तो उन्होंने अपने साथ हमे लेकर जिला मुख्य चिक्त्सिा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गंभीर सिंह ठाकुर से मिलवाये और हमारी इस तकलीफो और परेशानियों से उनको अवगत कराकर दुर्ग में ही इस फैक्टर को उपलब्ध कराने की मांग की जिसके फलस्वरूप डॉ. गंभीर सिंह ठाकुर ने
150 फेक्टर 8 एवं 9 इंजेक्शन दुर्ग जिला चिकित्सालय में उपलब्ध करवाया है और आश्वासन दिये हैँ कि आगे भी अब आप लोगों को इसके लिए परेशानी नही होगी। इस हेतु इस लाइलाज बीमारी से ग्रस्त मरीज एवं उनके संबंधी, हीमोफीलिया सोसायटी के पदाधिकारी एवं सदस्य गंभीर सिंह ठाकुर का अस्पताल के स्टाफ का तथा आर एन रामराव एवं जे के साहू को तहे दिल से धन्यवाद देते हुए कहा है कि हम लोगों को है कि भविष्य में भी ऐसा ही सहयोग मरीजों को मिलता रहे।