छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

बार पहली छोटी आंत के ट्यूमर का लेप्रोस्कोपी मैथड से किया ऑपरेशन

भिलाई। देश-प्रदेश के हजारों मरीजों को नया जीवन देने वाली सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के मुख्य चिकित्सालय जेएलएन अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र के सर्जरी विभाग ने पुन: अपनी उत्कृष्टता सिद्ध की है। ईस्ट सिंहभूम जिला के झारखण्ड निवासी 54 वर्षीय महिला मरीज विगत 4-5 सालों से अपने पेटदर्द से परेशान थी। वह विभिन्न निजी अस्पतालों में अपना इलाज कराकर थक चुकी थी परन्तु उन्हें दर्द से निजात नहीं मिल पाया था। अन्तत: उन्होंने बीएसपी के जेएलएन अस्पताल का रूख किया। सबसे पहले उन्होंने स्त्री रोग विभाग में डॉ सुनीता अग्रवाल को दिखाया। जांच के दौरान उन्हें खून की कमी के साथ-साथ छोटी आंत में ट्यूमर पाया गया। इसके साथ ही पित्ताशय में पथरी भी पायी गयी। स्त्री रोग विभाग से उन्हें बीएसपी के सर्जरी विभाग में भेज दिया गया।

छोटी आंत के ट्यूमर का लेप्रोस्कोपी मैथड से ऑपरेशन
विदित हो कि जेएलएन अस्पताल का सर्जरी विभाग अपने बेहतरीन चिकित्सा व स्किल के लिये जाना जाता है। इस जटिल केस में भी सर्जरी विभाग के सर्जनों ने चुनौती स्वीकार करते हुए इसे लेप्रोस्कोपी मैथड से ऑपरेट करने का निर्णय लिया। विदित हो कि बीएसपी के मुख्य अस्पताल में पहली बार छोटी आंत के ट्यूमर का लेप्रोस्कोपी मैथड से ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। इसके साथ ही इसी दूरबीन पद्धति से पथरी सहित पित्ताशय को भी बाहर किया गया।

सभी चुनौतियों को किया पार-डॉ सुमन्त मिश्रा
सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष तथा एडीशनल सीएमओ डॉ सुमंत मिश्रा चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहते हैं कि इस ऑपरेशन के दौरान खून की कमी जैसे अनेक चुनौतियां डॉक्टरों के सामने थी अत: ऑपरेशन के दौरान ब्लड लॉस को न्यूनतम रखने हेतु विशेष सावधानी बरतते हुए लेप्रोस्कोपी मैथड से ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। इस प्रकार छोटे से चीरे से ही मरीज का ऑपरेशन किया गया। इसके अतिरिक्त पथरी का भी लेप्रोस्कोपी मैथड से साथ-साथ ऑपरेशन किया गया। सर्जरी टीम ने सभी चुनौतियों को पार करते हुए इस ऑपरेशन को अंजाम दिया।

यह अत्यंत ही दुर्लभ प्रकार की बीमारी-डॉ देवांगन
लेप्रोस्कोपी सर्जन डॉ मनीष देवांगन बताते है कि महिला मरीज को कार्सीनाइड ट्यूमर ऑफ स्माल बॉवेल अर्थात छोटी आंत में ट्यूमर की यह बीमारी थी। यह अत्यंत ही दुर्लभ प्रकार की बीमारी है जो देरी से पकड़ में आती है। यह बीमारी लगभग 1 लाख लोगों में एक को होती है। हमारी टीम ने चुनौती को स्वीकार करते हुए इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

बीएसपी के डॉक्टरों ने दिया दर्दरहित जीवन का उपहार
55 वर्षीय मरीज ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि वे पिछले 5 वर्षों से पेट के दर्द से परेशान थी। कई निजी अस्पतालों में इलाज कराने के बाद भी उन्हें दर्द से राहत नहीं मिली। मैं बीएसपी अस्पताल तथा डॉक्टरों का तहेदिल से शुक्रिया अदा करती हूं कि जिन्होंने मेरी बीमारी का सही डायग्नोस किया और उत्कृष्ट सर्जरी कर मुझे दर्द से छुटकारा दिला दिया। इतने वर्षों बाद मैं दर्दरहित जीवन जीने में सक्षम हो पायी। बीएसपी के डॉक्टरों तथा मेडिकल स्टाफ के व्यवहार का मैं कायल हूं, सभी ने मुझे बहुत सहयोग किया है और मेरा हौसला बनाये रखा।

दर्द से निजात देने वाली डॉक्टरों की टीम में शामिल हैं
ईडी (एम एंड एचएस) डॉ एस के इस्सर, सीएमओ द्वय डॉ एम रविन्द्रनाथ व डॉ प्रमोद विनायके के मार्गदर्शन में इस चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन को सफलतापूर्वक सम्पन्न करने में सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष तथा एडीशनल सीएमओ डॉ सुमंत मिश्रा, लेप्रोस्कोपी सर्जन एवं चीफ कन्सल्टेंट डॉ मनीष देवांगन, सीनियर कंसल्टेंट डॉ धीरज शर्मा, स्त्री रोग विभाग की एडीशनल सीएमओ डॉ सुनीता अग्रवाल तथा एनेस्थिसिया विभाग की एडीशनल सीएमओ डॉ विनीता द्विवेदी, चीफ कंसल्टेंट डॉ कुमुदिनी तिग्गा, कंसल्टेंट डॉ शिखा अग्रवाल एवं डीएनबी स्टुडेंटस् ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एडीशनल सीएमओ डॉ प्रतिभा इस्सर ने डायग्नोसिस करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। बीएसपी के जेएलएन अस्पताल के डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की टीम ने पुन: अपनी उत्कृष्टता सिद्ध की है और अपने ब्रांड इमेज को एक नयी ऊँचाई देने में सफल हुए है।

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