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क्यों ममता बनर्जी के लिए चुनाव जीतने से ज्यादा बड़ी है भवानीपुर की चुनौती Why the challenge of Bhawanipur is bigger for Mamata Banerjee than winning the election

दो दिन बाद बंगाल (Bengal) में अहम उपचुनाव के लिए मतदान होने जा रहा है. बंगाल की भवानीपुर (Bhabanipur) सीट से वहां की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) अपनी कुर्सी बचाने के लिए मैदान में हैं और इस उपचुनाव पर पूरे देश की निगाहें हैं. वे नंदीग्राम से विधानसभा चुनाव में हार चुकी हैं जबकि उनकी पार्टी को भारी बहुमत मिला था.  ऐसे में यह चुनाव ममता बनर्जी बनाम उनकी प्रमुख विरोधी भाजपा के बीच एक बड़े मुकाबले के तौर पर देखा जा रहा है. और सवाल एक ही है, क्या ममता अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचा पाएंगी. और इस चुनाव के नतीजे आने वाले समय में देश की राष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित कर सकते हैं.

ऐसा नहीं है कि देश में कोई भी मुख्यमंत्री उपचुनाव हारा नहीं है. अभी तक भारत में 1970 से केवल दो ही ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो उपचुनाव हारे हैं. साल 1970 में उत्तर प्रदेश के त्रिभुवन नारायण सिंह और 2009 में झारखंड के शिबु सोरेन उपचुनाव में अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवा कर देश भर चर्चित हो चुके हैं.

 

इस उपचुनाव की अहमियत
भवानीपुर का उपचुनाव कई मायनों में अहम है. यह ममता बनर्जी और भारतीय जनता पार्टी के बीच एक तरह का प्रतिष्ठा के प्रश्न का मुकाबला भी है. ममता इसी साल हुए बंगाल विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस से नंदीग्राम में भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी से हार चुकी हैं. इस लिहाज से उन्हें मुख्यमंत्री बने रहने के लिए चुनाव जीतना बहुत जरूरी है, वहीं भाजपा की कोशिश है कि वह ममता को हरा दे.

पहले इसी सीट से लड़ चुकी हैं चुनाव
ममता के लिए भवानीपुर की सीट नई नहीं हैं. इससे पहले वे 2011 और 2016 में यहां से विधायक के रूप में चुनी जा चुकी हैं. 2021 में उन्होंने भवानीपुर की जगह नंदीग्राम को चुना और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. नदीग्राम से चुनाव लड़ने के फैसले की वजह यही थी कि भवानीपुर में उनकी जीत का अंतर कम होने लगा था और विरोधियों की वोट संख्या में इजाफा हो रहा था.

क्या हुआ इस बार के चुनाव में
बीजेपी ने इसी साल मार्च अप्रैल में हुए विधासभा चुनाव में भी दीदी पर यह तंज कसा था कि वे भवानीपुर छोड़ कर अपनी हार से बचने के लिए नंदीग्राम आईं हैं. फिर भी ममता की ही पार्टी के सोवन्देब चट्टोपाध्याय ने भावनीपुर सीट पर जीत हासिल की. उन्होंने भाजपा उम्मीदवार रुद्रानिल घोष को 2016 के चुनाव की तुलना में अपनी पार्टी के बेहतर अंतर से जीत दिलाई. यही सीट चट्टोपाध्याय ने ममता दीदी के लिए छोड़ी है.

 

इस बार किससे मुकाबला
इस उपचुनाव मे ममता का मुकाबला भाजपा का नया चेहरा प्रियंका तिबरवाल है जो एक वकील हैं और पश्चिमबंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा और बलात्कार के मामलों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए जानी जाती हैं. टीएमसी पर बंगाल में कई जगहों से चुनाव के बाद की हिंसा की घटनाएं हुई हैं जिसमें टीएमसी को घेरा गया है.

 

 

 

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