छत्तीसगढ़ के विकास में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए गढ़ा जा रहा नवा छत्तीसगढ़ : मुख्यमंत्री श्री बघेलMLA Ashish Chhabra is giving development works to village Kusmi according to the parameters of the city New Chhattisgarh is being forged by ensuring public participation in the development of Chhattisgarh: Chief Minister Mr. Baghel
कवर्धा : छत्तीसगढ़ के विकास में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए गढ़ा जा रहा नवा छत्तीसगढ़ : मुख्यमंत्री श्री बघेल
जिला स्तर पर जनहितकारी योजनाओं तथा अभियान के संचालन की दी गई है खुली छूट
लोकवाणी की 21वीं कड़ी प्रसारित
कवर्धा, 12 सितम्बर 2021। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की लोकप्रिय मासिक रेडिया वार्ता लोकवाणी कार्यक्रम को कवर्धा नगर पालिका परिसर में सूना गया। इस अवसर पर पालिका अध्यक्ष ऋषि कुमार शर्मा, वरिष्ठ नागरिक श्री मुकुंद माधव कश्यप, पार्षद मोहित महेश्वरी, संतोष यादव, एल्डरमेन श्री दलजीत पाहुजा, अजहर खान, श्री तुकेश्वर साहू सहित नगर पालिका के अधिकारी-कर्मचारी व पालिका परिसद के सभी सदस्य उपस्थित थे। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने 21वीं लोकवाणी कार्यक्रम में ‘जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह’ चर्चा की।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि प्रशासनिक इकाई के रूप में जिलों को महत्व देते हुए हमने अल्प समय में ही 5 नए जिले बनाने की पहल की है। साथ ही जिला स्तर पर जनहितकारी योजनाएं, कार्यक्रम और अभियान संचालित करने की खुली छूट दी है, ताकि स्थानीय जनता की सोच, इच्छा और अपेक्षा के अनुरूप काम करने में जिला प्रशासन अधिक सक्षम हो सके। रेडियो कार्यक्रम लोकवाणी में बताया गया कि छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के समन्वित विकास के लिए आमजनता की समस्याओं को संवेदनशीलता के साथ सुनने और स्थानीय जरूरत के हिसाब से कदम उठाने के लिए प्रशासन को फ्री-हेंड दिया गया है। इस तरह आमजनों के जीवन-स्तर का तीव्र उन्नयन और उनकी आजीविका के लिए स्थायी समाधान पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
कबीरधाम जिले की बेटी भूमि ने मुख्यमंत्री से शिक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण सवाल किए
मुख्यमंत्री ने कहा-शिक्षा के नवाचारी प्रयासों को मिली राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना
कबीरधाम जिले से कुमारी भूमि डड़सेना ने मुख्यमंत्री श्री बघेल से लाडस्पीकर,गुरू जी, कार्टून वाली मैडम,आदि शिक्षा से जुड़ी अन्य नवाचारों के बारे में सवाल कर विस्तार से जानकारी मांगी। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पूरे देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई थी, कोरोना ने हमारे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। ऐसी स्थिति में भी चुनौतियों का सामना करते हुए बच्चों की पढ़ाई-लिखाई जारी रहे, इसके लिए ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। बहेबीववस.पद नाम से एक पोर्टल का निर्माण कर ऑनलाइन कक्षाएं प्रारंभ की गईं। इस ऑनलाइन पढ़ाई से घर बैठे ही लाखों बच्चे सुरक्षित पढ़ाई करने लगे। इंटरनेट की पहुंच नहीं होने वाले क्षेत्रों व ऐसे बच्चे जिनके पास मोबाइल नहीं था, उसे ध्यान में रखते हुए मोहल्ला कक्षा प्रारंभ की गई। हमारे प्रदेश के शिक्षकों ने पढ़ाने के लिए कई नवाचारी गतिविधियां आयोजित कीं। शिक्षकों की मेहनत से बच्चों का पढ़ाई से रिश्ता बना रहा बल्कि पढ़ाई और अधिक रोचक और व्यापक हो गई। हमारे गुरुजनों ने अपनी लगन, निष्ठा और नवाचार से समाज में शिक्षकों की प्रतिष्ठा को नई ऊंचाई दी है। इन नवाचारी प्रयासों को न केवल राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली बल्कि पुरस्कार भी मिले हैं। मैं चाहता हूं कि शिक्षक-शिक्षिकाओं ने कोरोना काल में जिस तरह शिक्षा के नए-नए प्रयोग किए, उसे आगे भी करते रहें। सरकारी स्कूलों को आधुनिक सुविधाओं से सजाने और इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने की हमारी सोच एक बहुत बड़ा नवाचार है। स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना के तहत 171 स्कूलों का उन्नयन कोरोना काल में ही हुआ है। अब मैंने निर्देश दिया है कि इसी की तर्ज पर उत्कृष्ट हिंदी माध्यम शाला भी विकसित की जाएं। यह नवाचार प्रदेश की सरकारी स्कूलों में आमूल-चूल परिवर्तन लाएगा और सामान्य तथा गरीब परिवारों के बच्चों का जीवन संवारेगा।
कोदो-कुटकी तथा रागी फसलों के लिए छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आगे कहा कि आर्थिक तंगी और कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से हमारे प्रदेशवासियों को किसी तरह की तकलीफ न हो, बल्कि उनकी सुविधाओं में बढ़ोत्तरी का सिलसिला लगातार आगे बढ़ता रहे, इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने छत्तीसगढ़ में अनेक नये-नये उपाए किए हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए अब लघु धान्य फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ इन्हें बेहतर दाम तथा सुविधाएं देने की पहल की है। इसके लिए छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन की स्थापना की गई है और उत्पादन में वृद्धि तथा प्रसंस्करण के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाई जा रही है। लघु धान्य फसलें पोषण की दृष्टि से बहुत उपयोगी होती है लेकिन इन फसलों को अन्य कृषि उत्पादों की तुलना में कम महत्व मिलता रहा है। इन फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों को भी अन्य किसानों की तुलना में कम महत्व मिलता रहा है। हमने इसे ध्यान में रखते हुए आवश्यक पहल की है। राज्य के बस्तर संभाग अंतर्गत दंतेवाड़ा, सुकमा, कांकेर जिलों में कुछ लघु धान्य प्रसंस्करण इकाइयां शुरु भी हो चुकी हैं लेकिन अब बड़ी संख्या में ऐसी इकाइयां लगाई जाएंगी। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के विस्तार में इस बात का ध्यान रखा गया है कि जो किसान धान के बदले कोदो-कुटकी-रागी की फसल लेंगे, उन्हें प्रति एकड़ 10 हजार रुपए की आदान सहायता दी जाएगी, जो फसल बेचने से होने वाली उनकी आय के अतिरिक्त होगी। मैंने विधानसभा में घोषणा की थी कि आदिवासी अंचलों में उपजाई जाने वाली कोदो-कुटकी और रागी फसल की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाएगी। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि हमने कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल और रागी का समर्थन मूल्य 3 हजार 377 रुपए प्रति क्विंटल तय कर दिया है। इनको खरीदने की व्यवस्था भी लघु वनोपज संघ के माध्यम से कर दी गई है।
आदिवासी अंचल में नवाचारों का बड़े पैमाने पर मिल रहा लाभ
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के समग्र विकास के लिए आदिवासी अंचल में भी कई ऐसे नवाचार किए गए हैं, जिसका लाभ अब लोगों को बड़े तादाद में मिलने लगा है। उन्होंने बताया कि इनमें मलेरियामुक्त बस्तर अभियान के माध्यम से लोगों को बहुत बड़ी राहत दिलाई है। आज मलेरियामुक्त बस्तर अभियान की सफलता की चर्चा चारों तरफ हो रही है। निश्चित तौर पर बस्तर को मलेरिया से बचाने की सोच और उस पर जिस तरह से अमल किया गया, उसे एक नवाचार ही माना जाएगा। हमारी सरकार बनने के बाद बस्तर संभाग के सातों जिलों में जब हमने सर्वेक्षण कराया तो पता चला कि मलेरिया प्रभावितों के बारे में बताने वाला वार्षिक परजीवी सूचकांक, जिसे एपीआई कहा जाता है, वह 10 से अधिक था, जो बेहद खतरनाक स्तर माना जाता है। अभियान के तहत हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर सर्वे किया और एक-एक व्यक्ति की जांच की गई। निःशुल्क दवाएं दी गईं। घरों में मच्छररोधी दवाइयों का छिड़काव किया गया। मेडिकेटेड मच्छरदानियां बांटी गईं। इन प्रयासों के कारण एपीआई की दर लगातार कम हुई। बीते एक साल में पॉजिटीविटी दर 4.6 प्रतिशत से घटकर 0.86 प्रतिशत पर आ गई। पूरे बस्तर संभाग में मलेरिया की प्रभाव दर 45 प्रतिशत कम हो गई है। जिस तरह से युद्धस्तर पर काम हुआ उसकी सराहना नीति आयोग और यूएनडीपी ने की है तथा इसे देश के अन्य आकांक्षी जिलों के लिए भी अनुकरणीय बताया है। मैं यह भी बताना चाहता हूं कि ‘मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना’ का भी इसमें बहुत सहयोग मिला, जो कि अपने आप में एक नवाचार था। मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना से 11 लाख से अधिक लोगों का इलाज हुआ। इस तरह से मलेरिया और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान से सुपोषण को लेकर किए जा रहे प्रयासों को भी बल मिला। मलेरियामुक्ति का अभियान महिलाओं और बच्चों के लिए वरदान साबित हुआ है। इसका लाभ सुरक्षा बलों तथा सभी निवासियों को मिला है।
सुराजी गांव योजना से ग्रामीण जनजीवन में आ रहा तेजी से बदलाव
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि सुराजी गांव योजना से छत्तीसगढ़ के जनजीवन में जो बदलाव आ रहा है, उससे तो मैं भी रोमांचित और अभिभूत हूं। सबसे खुशी की बात यह है कि हम लोग एक दिशा देते हैं तो आप लोग उसमें काम करने की नई-नई संभावनाएं खोज लेते हैं। यही तो नवाचार है। हमने तो नरवा, गरुवा, घुरुवा, बाड़ी को छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी के रूप में बचाने की सोच के साथ, एक नए रास्ते पर चलना शुरू किया था लेकिन आप लोगों ने अपनी मौलिक सूझबूझ से, उसे इतना व्यापक रूप दे दिया है कि उसमें नए-नए उत्पाद और नए-नए रोजगार के अवसर बनने लगे हैं। छत्तीसगढ़ में जल की उपलब्धता को लेकर बड़ी विलक्षण स्थिति है। हमारे प्रदेश में हिमालय के किसी ग्लेशियर से जल-धारा प्रवाहित नहीं होती। हमारी नदियां और नरवा हमारे लिए पानी के स्रोत हैं। इंद्रावती, महानदी, सोन, शिवनाथ, अटेम, महान व केलो आदि नदियों की संख्या तो सीमित हैं, लेकिन 2 से 11 किलोमीटर तक बहने वाले नालों की संख्या हजारों में है। इस तरह नरवा हमारी बड़ी अहम धरोहर हैं। निश्चित तौर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से नदी-नालों में जल कम हुआ है। इसलिए हमने समय रहते ‘नरवा’ परियोजना पर बल दिया। अभी तक लगभग 32 सौ नालों में जरूरी सुधार कार्य किया जा चुका है। आगामी साल करीब 11 हजार नालों को पुनर्जीवित करने की योजना पर हम युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं।