असल मनुष्य वो है जो दूसरों का सुख ,दुख अपना सुख दुख के समान समझे – ज्योतिष A real man is one who considers the happiness of others as his own happiness and sorrow – Astrology
*असल मनुष्य वो है जो दूसरों का सुख ,दुख अपना सुख दुख के समान समझे – ज्योतिष*
वेदो में कहा है, मनुर्भव, अर्थात ईश्वर मनुष्यों को संदेश देता है कि हे मनुष्य! तू मनुष्य बन। यहां प्रश्न होता है, कि यह उपदेश मनुष्यों के लिए है, या पशु पक्षियों के लिए? उत्तर – मनुष्यों के लिए। क्योंकि पशु-पक्षी न तो ऐसे उपदेश को सुनते, न समझते, न वे उसी पशु पक्षी जन्म में मनुष्य बन सकते। इसलिए वेदों का उपदेश सीधा पशु-पक्षियों के लिए तो है नहीं, बल्कि मनुष्यों के लिए है, जो सुन समझ और उस पर आचरण भी कर सकते हैं। अतः जो मनुष्य शरीरधारी हैं, मनुष्य योनि में जी रहे हैं, उन लोगों के लिए यह उपदेश ईश्वर ने दिया है।
तब अगला प्रश्न यह होगा, कि जब यह उपदेश मनुष्यों के लिए है, और मनुष्य तो पहले से ही मनुष्य हैं, फिर उन्हें ऐसा क्यों कहा जा रहा है? कि तू मनुष्य बन। इसका अर्थ है कि केवल शरीर आकृति मात्र से कोई मनुष्य नहीं कहलाता। क्योंकि शरीर आकृति मनुष्य का होते हुए भी उसे उपदेश दिया जा रहा है, कि तू मनुष्य बन इसका तात्पर्य यह हुआ, कि मनुष्य, वास्तविक मनुष्य तभी कहलाता है, जब उसमें मनुष्यता वाले गुण कर्म हों। वह मनुष्यता वाला चिंतन विचार और मनुष्यता वाले कर्म करे। इसलिए मनुष्य शरीर धारी आत्मा को यह उपदेश दिया गया, कि तू मनुष्य बन अर्थात अपने अंदर ऐसे गुण कर्म धारण कर, जिससे वास्तविक मनुष्य कहलाए।
अब अगला प्रश्न यह है, कि वे कौन से गुण कर्म हैं, जिनसे व्यक्ति वास्तव में मनुष्य कहलाता है?इसका उत्तर है, कि वह जैसे अपने लिए सुख चाहता है, ऐसे ही अन्य मनुष्यों तथा पशु-पक्षियों आदि सभी प्राणियों के लिए सुख चाहे। जैसे वह अपने सुख के लिए प्रयत्न करता है, ऐसे ही वह सबके सुख के लिए प्रयत्न करे। जैसे वह स्वयं दुख से छूटना चाहता है, ऐसे ही दूसरे प्राणियों के लिए भी चाहे, कि अन्य सब प्राणी भी दुख से छूटें। और जैसे वह अपने दुख दूर करने के लिए पुरुषार्थ करता है, ऐसे ही सबका दुख दूर करने का पुरुषार्थ करे।इन गुण कर्मों के कारण वह वास्तव में मनुष्य कहलाता है। वेदों के अनुसार ऐसे व्यक्ति को ही वास्तविक मनुष्य या असली मनुष्य कहते हैं। तो आप और हम सब ऐसा प्रयत्न करें, ऐसा चिंतन मनन विचार और ऐसा ही आचरण करें, कि हम असली मनुष्य बन सकें। तभी यह संसार सुखमय बनेगा। ज्योतिष कुमार