*देवकर में नवविवाहित जोड़े ने आदिवासी परम्परा व संस्कृति के साथ दहेजरहित शादी कर पेश की अनोखी मिशाल, शगुन की रकम को समाज की उद्धार के लिए किया दान*

*बेमेतरा/देवकर:-* ज़िला क्षेत्र के साजा विकासखण्ड अंतर्गत स्थित नगर देवकर में विगत दिनों एक अनोखी शादी संपन्न हुई। जिसमें छत्तीसगढ़ के मूल माने जाने वाली हल्बा जनजाति समाज के नवविवाहित जोड़ो ने दहेज रहित शादी कर समाज को मिशाल पेश की। वही शादी के दौरान एकत्रित शगुन की रकम को समाज कल्याण के दान किया। लिहाजा इस प्रेरणादायक अनोखे शादी की चर्चा नगर सहित समूचे क्षेत्र में खूब हो रही है।
*शादी में दिखा आदिवासी परम्परा और संस्कृति का खास नज़ारा*
चूंकि यह शादी छत्तीसगढ़ की मूल आदिवासी समाज (हल्बा जनजाति) के जोड़ी के बीच सम्पन्न हो रही थी, तो इस अवसर को खास बनाने के लिए दोनो परिवारों की ओर से खास तरीके का शादी कार्ड छपवाया गया जो मूलतः छत्तीसगढ़ के हल्बी भाषा(बोली) में थी। वही प्री-वेडिंग सहित समूचे शादी की पूरी थीम को छत्तीसगढ़ी व आदिवासी कल्चर एवं परम्परा के साथ जोड़कर शादी को यादगार व खास बनाया गया। जिस पर मेहमानों-रिश्तेदारों के साथ समाज के लोगों को प्रेरणा देने के साथ गौरवान्वित भी किया।
*शादी के बाद दोनो ओर के सगे-सम्बन्धियों की शगुन को समाज कल्याण में किया दान*
फिलहाल शादी के दोनों नवविवाहित जोड़ो ने आपसी सहमति से दो लाख रुपये व मित्रो व परिजनों से प्राप्त एक लाख ग्याहर रुपये को मिलाकर पूरे तीन लाख ग्यारह रुपये को समाज कल्याण कर लिए दान करने का संकल्प लिया। जिसे नगर देवकर में समाज के प्रमुख व प्रख्याता प्राचार्य एमआर रावटे के हाथों समाज के निर्धन तबके की उद्घार हेतु दान कर दिया।
*बचपन की सोच को दोनो नव विवाहित जोड़ो ने शादी पर किया साकार*
दरअसल स्थानीय देवकर में ही रहकर भारत सरकार के उपक्रम ONGC में एक्सक्यूटिव इंजीनियर बने हेमन्त कुमार ने बताया कि मैं अपने विद्यार्थी जीवन मे इस विषय पर बहुत विचार किया करता था और इसका कुछ हल निकालने के बारे सोचा करता था। मुझे इस बात की बहुत ख़ुशी है कि मेरी पत्नी ने मुझे इस काम के लिए बहुत सहयोग किया, मैन अपना विचार उनके सामने रखा और इस कार्य मे उन्होंने अपने कमाई का एक हिस्सा देकर मेरा सहयोग किया।हम दोनों की तरफ से 2 लाख रुपये और हमारे परिवार और मित्रो द्वारा शगुन के रूप में दिए गए रुपयों को मिलाकर हमारे पास 3.11 लाख अर्जित हुए। वही उनकी नवविवाहित धर्मपत्नी बताती है कि बचपन से ही दहेज रहित शादी आदिवासी परम्परा एवं संस्कृति के साथ शादी करने की ठानी थी। जिसे अब जाकर दोनो ने मिलकर पूरा किया, जो अब स्थानीय पर काफी सुर्खियां बटोर रही है।फिलहाल आज के दौर में दहेज़रहित शादी एक बड़ी मिशाल मानी जा रही है, क्योंकि एक तरफ समाज मे शादी के दौरान दहेज का लेन-देन भले ही अपराध है किंतु आज भी यह मिथक बनी हुई है, और दहेज़ के बगैर शादी की कल्पना आसान नही है, लेकिन विगत दिनों देवकर में आदिवासी समाज के युवाओं ने शादी में अनोखा सन्देश दिया। जो सामाजिक बदलाव की दिशा सकारात्मक कदम है।
*शादी को यादगार बनाकर जागरुक करने की थी इच्छा*
दरअसल शादी आपके जीवन का महत्वपुर्ण दिन होता है, आप इस दिन को बहुत अच्छी तरह से याद करना चाहते है और लोग अपनी शादी को यादगार बनाने के लिए बहुत महंगी गाड़ी,घोड़ी इत्यादि उपयोग करके बहुत फैंसी बनाते है।मुझे महंगी और फैंसी शादी कर यादगार बनाने के वजाय समाज को एक संदेश देकर यादगार बनना चाहता था। चूंकि हम शिक्षित है, और हमारा कर्तव्य है कि हम समाज को आइना दिखाए, इसलिये हमने समाज में व्याप्त दहेज जैसी बुराई के खिलाफ एक अच्छा पहल करने का फैसला लिया और दहेज नही लेकर उन रुपयों को समाज की भलाई में उपयो कर समाज के जरूरतमंद बच्चे की शिक्षा को प्रायोजित करने का फैसला लिया, क्योकि शिक्षा से ही समाज की बुराइयों को खत्म किया जा सकता है।
हम सब को पता होता है कि दहेज लेना देना अच्छी बात नही है, हम सिर्फ समाज मे अपनी नकली अभिमान के चलते दहेज का लेन देन करते है।