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UPSC एग्‍जाम पास करना चाहते हैं टोक्‍यो पैरालंपिक मेडलिस्‍ट हरविंदर, इसीलिए ठुकरा दी थी सरकारी नौकरीThis is the dress code of NEET UG exam, there is a ban on carrying these things along Tokyo Paralympic medalist Harvinder wants to clear UPSC exam, that’s why he turned down a government job

कोलकाता. टोक्‍यो पैरालंपिक (Tokyo Paralympics) में तीरंदाजी इवेंट में भारतीय खिलाड़ी हरविंदर सिंह (Harvinder singh) ने ब्रॉन्‍ज मेडल पर निशाना साधकर इतिहास रच दिया. वह इस उपलब्धि को हासिल करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं. हरियाणा के रहने वाले हरविंदर जब डेढ़ साल के थे तो उन्हें डेंगू हो गया था और स्थानीय डॉक्टर ने एक इंजेक्शन लगाया, जिसका गलत प्रभाव पड़ा और तब से उनके पैरों ने ठीक से काम करना बंद कर दिया.

उनका हौसला हालांकि इससे भी कम नहीं हुआ. उनके बचपन के कोच गौरव शर्मा ने कहा कि अपने पैरों पर खड़े होने की उनकी ललक ऐसी है कि उन्होंने खुद से संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए राज्य सरकार की ओर से मिले नौकरी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. 31 साल का यह खिलाड़ी अभी अर्थशास्त्र में पीएचडी कर रहा है.

 

खेल छोड़ने का मना लिया था मन
लंदन पैरालंपिक (2012) से प्रेरित होकर कंपाउंड वर्ग में तीरंदाजी करने के बाद सिंह ने 2014 इंचियोन एशियाई पैरा खेलों की भारतीय टीम में जगह नहीं बना पाने के बाद खेलों को छोड़ने का मन बना लिया था. शर्मा ने पीटीआई-भाषा से कहा कि वह पूरी तरह से निराश हो गए थे और कहने लगे थे कि तीरंदाजी उनका खेल नहीं है. हालांकि कोच अपनी कोशिशों को बेकार जाने नहीं देना चाहते थे और वह हरविंदर सिंह को लेकर ‘जोखिम लेने’ को तैयार थे.

 

मुश्किल रिकर्व स्‍पर्धा में डाला
हरविंदर ने ब्रॉन्‍ज मेडल के प्लेऑफ में साउथ कोरिया के किम मिन सू पर 26- 24, 27-29, 28-25, 25 -25, 26-27, 10- 8 से जीत दर्ज की. शर्मा ने कहा कि उनमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने की भूख थी और हमने एक जोखिम लिया और उन्हें मुश्किल माने जाने वाले रिकर्व स्पर्धा में डाल दिया, जिसके लिए सटीक कौशल की आवश्यकता होती है. कोच ने कहा कि वह शत-प्रतिशत प्रतिबद्धता दिखाते थे. सुबह साढ़े 6 बजे से साढ़े 8 बजे तक अभ्यास करने के बाद दोपहर में फिर अभ्यास करते थे.\

 

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