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काल भगवान के इस संसार में उनके नियम न जानने से दुख भोग रहे हो

रवि तम्बोली

*जीवात्मा की तीसरी आंख खुलने से असली पिता-भगवान का दर्शन होता है*

सभी जीवों और देवी देवताओं के असली पिता कुल मालिक परमपिता परमात्मा सतपुरुष के दर्शन दीदार का रास्ता बताने वाले वर्तमान के पूरे संत सतगुरू बाबा उमाकांत जी महाराज ने राष्ट्रीय त्यौहार के अवसर पर 15 अगस्त 2021 को सीकर राजस्थान में यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि यह दुखों का संसार है। यहां कोई सुखी नहीं है क्योंकि यह पराया देश है। काल भगवान के इस देश के नियमों को न जानने से दुख पा रहे हो। कोई सुखी नहीं। न राजा को शांति, न रैय्यत को शांति, न पूंजीपति को नींद आ रही है। जिसके पास रुपया पैसा है वह भी दु:खी है और जिसके पास नहीं है वह तो दुखी है ही। जिसके पास लड़के नहीं हैं वह तो दु:खी है ही, जिसके पास भरा पूरा परिवार है वह तो और ज्यादा दु:खी हैं। क्योंकि यह है दुखों का संसार, क्योंकि इस पराये देश में हैं। उसकी जैसी व्यवस्था है, उस हिसाब से चलना पड़ता है। जब उसकी व्यवस्था नहीं समझ पाए तो दुख झेल रहे हैं।

*जैसे भारत देश में अलग नियम और अमेरिका जैसे देशों में गाड़ी चलाने के हैं अलग नियम*

जैसे भारत देश में हो। यहां का बहुत कुछ नियम कानून आपको मालूम हो गया। मोटे तौर पर समझो जैसे यहां पर अपनी जान बचाने के लिए गाड़ी मोटर चलाते हो, चलते हो बाईं तरफ। विश्व में कई ऐसे देश हैं जहां पर दाहिने जाते हैं और बाएं से लौटते हैं- उल्टा हिसाब किताब है। भारत में ड्राइवर दाहिने लेकिन अमेरिका वगैरह में बाएं तरफ बैठकर गाड़ी चलाता है। और वहां पर आप गए और वहां का नियम मालूम नहीं, सीखो नहीं तो चपेट में आ जाओगे, गलती कर बैठे तो आप को सजा मिल जाएगी। कुछ देशों के नियम बहुत सख्त हैं और कहीं सख्ती ज्यादा नहीं है।

*यह जिसका देश हैं उसने आपके आंखों के सामने पर्दा लगवा दिया जिससे आपकी तीसरी आंख बंद हो गयी*

तो आप अपना देश छोड़ कर के यहां आ गए। अब आप कहोगे कौन सा अपना देश? हमको तो मालूम नहीं है। लेकिन मां के पेट में जब थे तब आपको मालूम था। बाहर आने के बाद जिसके देश में, जिसके धरती पर आप पैर रखें, उसने आपके आंखों के सामने पर्दा डलवा दिया। आप अपने देश को देख नही पा रहे हो। जैसे आंख के सामने पर्दा लगा दो। हम आप अभी सामने बैठे हैं लेकिन आप हमको नहीं देख पाओगे। पर पर्दा हट गया तो आप हमको देख सकते हो और हम आपको देख सकते हैं। जैसे मोतियाबिंद हो गया, आंखों में जाला-माडा हो गया, हट जाए तो आप देख सकते हो। ऐसे ही इन बाहरी आंखों से आप अपने देश को, अपने असली घर को, अपने असली पिता को देख नहीं पा रहे हो।

*न जाने कितने जन्मों में मां बेटी बनी, बेटी मां बनी, बाप बेटा बना, बेटा बाप बना, मां पत्नी बनी पत्नी मां बनी..*

अभी तो आपके पिता जो जिंदा है कहोगे ये हमारे पिता हैं। चले गए तो कहोगे वह हमारे पिता थे। लेकिन इसके पहले भी कई जन्मों में आपको जाना पड़ा। एक ही जन्म में आपको ये अवसर नहीं मिला। कई जन्मों में आपको जाना पड़ा। न जाने कितने जन्मों में मां बेटी बनी, बेटी मां बनी, बाप बेटा बना, बेटा बाप बना, मां पत्नी बनी, पत्नी मां बनी। न जाने कितने जन्म बीत गए। यह आपको नहीं पता है। अभी आप इन चीजों को नहीं देख सकते हो। मां के पेट में जब आप थे तो सब दिखाई दे रहा था लेकिन बाहर आए तो पर्दा पड़ गया। लेकिन पर्दा अगर हट जाए तो सब दिखाई पड़ जाए।

*दोनों आंखों के बीच में, परमात्मा की अंश, जीवात्मा मे एक आंख है। अगर वह खुल जाए तो आप अपने असली घर-पिता का दर्शन कर सकते हो*

समझो जैसे यह दो आंखें बाहर हैं, ऐसे ही एक आंख अंदर है। वह जीवात्मा में है। जीवात्मा कहां है? दोनों आंखों के बीच में बैठी है। परमात्मा का छोटा सा टुकड़ा है। एक आंख उसमें है। वह अगर खुल जाए तो आप अपने घर को, अपने पिता को देख सकते हो। जैसे सिस्टम है कि पुरुष और स्त्री से ही बच्चा पैदा होता है। जैसे आपके पिता-मां रही तो जो सबसे शुरू में थे जिनको आदम और हव्वा कहते हैं, उनके भी तो कोई पिता है। देवी देवताओं के भी पिता हैं। 33 करोड़ दुर्गा, 10 करोड़ शंभू जब सृष्टि बनी तो यह बनाए गए थे। इन सबके पिता हैं, सबके सिरजनहार, वही आपके पिता। बाकी तो यह पिता हर जन्म में आपके बदलते रहे, माता बदलती रही जैसा मैं आपको बता रहा हूं। आप यह समझो कि असली पिता का दर्शन हो सकता है और आप अपने असली घर इसी जन्म में पहुंच सकते हो।

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