*गुरु कृपा के साथ-साथ अपनी मेहनत से दोनों – भौतिक और आध्यात्मिक कमाई करो*
जीते जी मुक्ति-मोक्ष प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त करने के साथ-साथ समाज में रहने के तौर-तरीके सिखाने वाले समय के पूरे सन्त उज्जैन वाले पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 22 मई 2020 को अपने उज्जैन आश्रम में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित सतसंग में भक्तों को आध्यात्मिक व सामाजिक शिक्षा दोनों एक कहानी के माध्यम से देते हुए समझाया कि आप ये सोचो की समरथ गुरु हमें मिल गए हैं, अब वो ही सब कुछ करेंगे तो आपको भी कुछ करना चाहिए.
*आलसी बेटे और ठंडी रोटी की कहानी*
एक आलसी बेटा माँ के समझाने पर भी कुछ कमाता नहीं था और बाप-दादा की संपत्ति पर रहता-खाता था। घर वालों ने सोचा की हमारे सामने शादी कर दें, हमारा कर्त्तव्य पूरा कर दें। ऐसी भी परिस्तिथियाँ आती है की आदमी सोचता नहीं है की ये दुसरे घर की कन्या को ला रहा है, खिला पायगा, रख पायेगा या नहीं, कैसे क्या होगा, नहीं सोचते। माता-पिता को ये सोचना चाहिए कि बच्चे जब कुछ कमाने लगे, घर में आमदनी होने लगे तब शादी करें। शादी के दुसरे दिन से ही खर्चे शुरू हो जाते हैं। आजकल कई घरों में झगडा इसलिए रहता है की लड़का कमाता नहीं है, खर्चा वोही रहता है, दोनों ठाट से रहना चाहते हैं। कभी ऐसी भावना भी आ जाती है की जो किया है वो ही खिलाएगा, मां-बाप बहु को लाये तो वो ही खिलाएंगे, करेंगे। तो उस लड़के की शादी कर दी फिर भी लड़का कुछ न करे। तो गर्म रोटी परोसते समय माँ बोले की खा ले, ठंडी रोटी खा ले। लड़का समझ न पाए और खा ले। कुछ लोग सोचते हैं की माँ-बाप तो कहते ही रहते हैं। कुछ की कहने की और कुछ की सुनने की आदत बन जाती है। लड़का भी सोचा की माँ तो कहती रहती है छोड़ो इस बात को। एक दिन माँ बाहर गयी तो बहु को कहा की गर्म रोटी परोसते समय कहना की ठंडी रोटी खा लीजिये। जब बहु ने ऐसा कहा तो लड़का बिगड़ा की तुम मेरी माँ से भी बड़ी हो गयी? गर्म रोटी को ठंडी रोटी क्यूँ कह रही है? बहु बोली की अपनी माँ से पूछो। मैं तो उनके कहे अनुसार कर रही हूँ। लड़के ने रोटी नहीं खाई। माँ आई, पूरी बात जानी, लड़के को बुलाया, पूछा तो लड़का बोला की आप माँ हो तो कह सकती हो लेकिन ये पत्नी है, ये कह नहीं सकती। फिर पूछा कि आप गर्म रोटी को ठंडी क्यूँ कहती हो? माँ बोली की ठंडी रोटी उसे कहते हैं जब सुबह या शाम की बनाई रोटी को शाम या सुबह को खाया जाए। तेरे पिता का धन जो तू खा रहा है वो ताजा है या ठंडा? लड़का बोला की ठंडा। तो माँ बोली कि तू पिता की ही ठंडी रोटी तो खा रहा है। जब तू मेहनत करके, कमाके लाएगा तब तो गर्म रोटी खायेगा। तो लड़के के समझ में आ गया।
*खुद मेहनत करनी चाहिए*
ऐसे ही पिता की दौलत, पॉवर और समझो गुरु को सब कुछ कहा गया, माता-पिता कहा गया, तो गुरु की कृपा, शक्ति से हम भौतिक रोटी खाएं या आध्यात्मिक धन प्राप्त करें, जीवात्मा को खुराक दें तो वो ठंडी रोटी ही कहलाएगी। इसलिए प्रेमियों! खुद मेहनत करनी चाहिए।