पार्षद के लिए टिकट के दावेदार जुटे वरिष्ठ नेताओं को रिझाने में Contenders for ticket for councilor gathered to woo senior leaders

भिलाई/ अगले तीन महीने बाद जिले के चार नगरीय निकायों में चुनाव होने की संभावनाओं को देखते हुए कांग्रेस और भाजपा के पार्षद पद के दावेदार अपनी टिकिट पुख्ता करने के लिए अभी से अपने वरिष्ठ नेताओं को रिझाने में तो जुट ही गये है। इसके अलावा अपने अपने निकाय से संबंधित अपने अपने क्षेत्र के जरूरतमंद लोगों को घर पहुंच सेवा भी देने में लगे हुए है ताकि आने वाले इस निकाय चुनाव में इसके आधार पर टिकिट मिलने पर जीत हासिल कर पार्षद बन सके।
भिलाई, रिसाली और भिलाई-चरोदा नगर निगम सहित जिले के जामुल नगर पालिका में इसी साल दिसम्बर महीने में चुनाव होने की प्रबल संभावना है। कोरोना को लेकर हालात नियंत्रण में रहा तो चुनाव टलने की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है। इसे देखते हुए चारों निकाय से पार्षद पद के दावेदार तैयारी में जुट गए हैं। हर दावेदार मतदाताओं में अपनी पहचान को विस्तार देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। लोगों के निकाय से जुड़े कामकाज में कईं दावेदार घर पहुंच सेवा देकर दिल जीतने की कोशिश में लगे हुए हैं।
वार्ड में अपनी राजनीतिक जमीन को संवारकर जीत का परचम लहराने से पहले अनेक दावेदारों के लिए पार्टी का टिकट हासिल करना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। यह स्थिति कांग्रेस और भाजपा जैसी प्रमुख राजनीतिक पार्टी में देखने को मिल रही है। चारों निकाय के कुछ वार्ड ऐसे हैं जहां कांग्रेस और भाजपा में टिकट के लिए दावेदारों की अधिकता से कश्मकश की स्थिति बन सकती है। इस बात का अहसास दावेदारों की भी है। लिहाजा अपनी अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को रिझाने की तमाम कोशिशें दावेदारों की ओर से शुरू कर दी गई है।
गौरतलब रहे कि भिलाई नगर निगम और जामुल पालिका के निर्वाचित परिषद का कार्यकाल जनवरी 2021 में खत्म हो चुका है। भिलाई से अलग होकर अस्तित्व में आने वाली रिसाली नगर निगम को भी पहली निर्वाचित परिषद का पिछले दो साल से इंतजार है। कोरोना संक्रमण के चलते इन तीनों निकाय का चुनाव निर्धारित समय पर संभव नहीं हो सका। इस बीच भिलाई-चरोदा नगर निगम का कार्यकाल जनवरी 2022 में खत्म होना है। ऐसे में भिलाई-चरोदा के साथ ही साल के अंतिम महीने में भिलाई, रिसाली व जामुल का चुनाव होने की प्रबल संभावना बनी हुई है। यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि जिले के इन चारों निकाय के वार्डों का परिसीमन नए चुनाव के मुताबिक करने के बाद आरक्षण की प्रक्रिया भी पूरी की जा चुकी है। भिलाई सहित रिसाली और जामुल में वार्डवार मतदाता सूची तैयार किया जा चुका है।
भिलाई-चरोदा निगम में नए परिसीमन के अनुसार वार्डों की मतदाता सूची बनाने का काम चल रहा है। फिलहाल कोरोना संक्रमण को भी काफी हद तक नियंत्रित किया जा चुका है। संभावित मानी जा रही कोरोना की तिसरी लहर का खलल नहीं पड़ता है तो दिसम्बर में चारों निकाय का चुनाव तय माना जा रहा है।
टिकिट बंटवारे में कांग्रेस में तालमेल का है आसार
आने वाले निकाय चुनाव में पार्षद पद के प्रत्याशी चयन के दौरान कांग्रेस के बड़े नेताओं में तालमेल का आसार है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का यह गृह जिला है। उनके नजदीकी समर्थकों की प्राय: चुनाव होने वाले सभी चारों निकायों में मौजूदगी है। भिलाई-चरोदा और जामुल मंत्री गुरु रुद्र कुमार के अहिवारा निर्वाचन क्षेत्र का निकाय है। रिसाली नगर निगम प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का क्षेत्र है। वहीं भिलाई नगर निगम की वर्तमान कांग्रेसी राजनीति विधायक व निवृत्तमान महापौर देवेन्द्र यादव के इर्द-गिर्द घूम रही है। इन परिस्थितियों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि चारों निकाय में कांग्रेस का टिकट बड़े नेताओं के बीच तालमेल बिठाकर तय किया जाएगा। हालांकि पार्षदों के बहुमत के आधार पर महापौर व पालिका अध्यक्ष चुनने के नियम लागू होने के बाद पहली बार होने वाले चारों निकाय के चुनाव में टिकट के लिए एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति से तालमेल बनाना खासा चुनौतीपूर्ण रह सकता है।
गुटबाजी के कारण किस दरबार में जाए भाजपाई
भाजपा में जर्बदस्त गुटबाजी के कारण भाजपा से टिकिट की उम्मीद जताये पार्षद पद के दावेदार कश्मकश में कि किस दरबार में जाया जाए जहां से उनकी टिकिट पक्की हो सके। चारों निकाय में भाजपा के अनेक ऐसे दावेदार सामने आ रहे हैं जो अपनी दावेदारी को अमलीजामा पहनाने किस दरबार में माथा टेकने जाएं यह तय नहीं कर पा रहे हैं। दुर्ग जिले की भाजपाई राजनीति में राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय का दबदबा कायम है। संगठन में समर्थकों का कब्जा होने से पार्षद प्रत्याशी चयन में सरोज पाण्डेय की पसंद को प्राथमिकता मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है। बावजूद इसके लोकसभा सांसद विजय बघेल, पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय व वैशाली नगर विधायक विद्यारतन भसीन की टिकट वितरण में रहने वाली भूमिका को नकारा नहीं जा रहा है। इसी वजह से भाजपा के दावेदार यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि अपनी टिकट को पक्की करने किस नेता या फिर नेत्री को साधा जाए।