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श्रीभक्तामर महामंडल विधान का भव्य आयोजन त्रिवेणी जैन तीर्थ सेक्टर-6 में संपन्न

संप्रदायों का नाम धर्म नहीं, धर्म तो वस्तु का स्वभाव है- विमर्श सागर जी महाराज

भिलाई। आज प्रात: श्री 1008 पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के प्रांगण में श्री 1008 आदिनाथ भगवान के मंगलअभिषेक, एवं परमपूज्य आचार्य 108 श्री विमर्श सागर महाराज जी के अमृत वचनों से शांतिधारा करने का सौभाग्य दीपचंद भरत गोधा एवं राकेश कासलीवाल ने किया। और मंगल अभिषेक करने वालों में इन्द्र बने ज्ञानचंद बाकलीवाल, मुकेश जैन, डॉ, जिनेन्द्र जैन, सुनील जैन, प्रवीण छाबड़ा, प्रशांत जैन, नरेन्द्र जैन के साथ प्रदीप जैन बाकलीवाल सुनील कासलीवाल, महावीर प्रकाश, निगोतिया केसी जैन, प्रमोद नाहर, परमानंद जैन, संतोष विनायके, मुन्ना जैन, अरूण बाकलीवाल, निशांत जैन, सुरेन्द्र अजमेरा, शिम्पी जैन, महेन्द्र काला, आशीष जैन, महेन्द्र बाकलीवाल, क्षितिज जैन, अमित जैन, अशोक निगोतिया, संतोष जैन आदि ने किया।

इस अवसर पर खचाखच भरे धर्म प्रेमी बन्धुओं के मध्य सम्पूर्ण जैन भवन में भक्तामर महामंडल विधान के भव्य धर्म आयोजन में मानो श्री आदिनाथ भगवान के समवशरण में विराजित परमपू्ज्य आचार्य 108 श्री विमर्श सागर महाराज जी के अमृत वचनों से भक्तामर महामंडल विधान में लगभग 500 लोगों ने विधान पूजन भक्तिभाव के साथ भक्ति आराधना करते हुए धर्मसंगीत के मध्य भक्तामर के 48 दीपक सजाकर श्रीफल और अर्घ समर्पण करते हुए देव शास्त्र गुरू का पूजन आराधना किये। जहां श्री पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के पावन स्थल पर इस युग के महान जैनाचार्य परमपूज्यनीय भावलिंगी संत राष्ट्रयोगी श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महाराज के विशाल चतुर्विध संघ के मंगल सानिध्य में भक्तामर विधान प्रात: 8 बजे से महाअनुष्ठान के साथ भक्तों ने किया।

सुसज्जित मंडल पर विधान पूजन के साथ परम वंदनीय आचार्य भगवन ने अपनी देखनी से सृजित श्री भक्तामर विधान के मनोहारी छंदों का अपने मधुर कंठ से उच्चारण किया तो उपस्थित जनसैलाब भक्ति में झूमने लगे। लगभग दो घंटे चले इस महाअनुष्ठान में भिलाई-दुर्ग, रायपुर के अनेक भक्तों ने पूण्र्याजन अर्जित किया। आहारचर्या पश्चात दोपहर 3.30 बजे आचार्य श्री विराग सागर महाराज जी के प्रतिमा का अनावरण भक्तों ने दीपप्रज्ज्वलन के साथ मंगलाचरण किया। जहां गुरूदेव में अपने मंगल प्रवचन में कहा कि धर्म दुनिया की एक विलक्षण वस्तु है जिससे हर कोई परिचित नहीं हो पाता। दुनिया में जो अनेक प्रकार के धर्म दिखाई दे रहे हैं वो वास्तविकता में धर्म नहीं है सम्प्रदाय है। दुनिया के सारे लोग सम्प्रदाय को ही धर्म समझ रहें हैं। धर्म पृथक है, और सम्प्रदाय पृथक है। जब तक सम्प्रदायों में धर्म की वृद्धि बनी रहेगी तब तक धर्म क्या ये बात समझ में नहीं आ सकेगी। जब धर्म समझ में आता है तो जीव किसी सम्प्रदाय का नहीं रहा जाता। जिस दिन धर्म का बोध होगा उस सारे सम्प्रदाय तिरोहित हो जाएंगे। धर्म वस्तु का स्वभाव है वत्यु सहावो धम्मो धर्म कहीं बाहर नहीं मिलता, धर्म तो वस्तु का स्वभाव है जो कभी वस्तु के पृथक नहीं होता, वस्तु का स्वभाव सम्प्रदायों के लेबल मात्र लगा देने से बदलता नहीं है। गाय चाहे जैन की हो या ब्राह्मण की या ईसाई की हो सभी की गाय के दूध में घी प्रगट करने की एक सी शक्ति है। सम्प्रदाय के लेबल लगाने से उस दूध के स्वभाव में परिवर्तन नहीं होता है। इसी प्रकार संसार के प्रत्येक जीव में परमात्मा बनने की शक्ति विद्यमान है ये उसका स्वभाव है वो चाहे किसी भी सम्प्रदाय में जन्मा हो पर धर्म सभी के पास है। वो धर्म सम्प्रदायों की चारदिवारी से बाहर आकर दिखाई देता है। व्यक्ति को सदैव धर्म और नियति के साथ अपना जीवन यापन करना चाहिए जैसा पानी का स्वभाव शीतल है और वह सदैव शीतलता प्रदान करता है।

आज इस अवसर पर अनेक मंदिरों के प्रमुख जन इसमें जैन मिलन, जैन ट्रस्ट, श्री पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन महासभा, जैन महिला क्लब के सदस्यों सहित राकेश जैन, पंडित शिखरचंद जैन, अरविंद जैन, राजीव जैनको, आरके जैन, महावीर पाटनी, राजेश जैन (सुपर बाजार), निकेत झांझरी , पंडित अजित शा ी, पारसमल पापड़ीवाल, अरविंद पहाडिय़ा, सुनील जैन, प्रकाश जैन आदि उपस्थित थे। यह जानकारी प्रदीप जैन बाकलीवाल ने दी।

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