खास खबरछत्तीसगढ़दुर्ग भिलाईधर्म

जीवन की हर सफलता का आधार मां होती है: आचार्य श्री विमर्श सागर जी

शिशु में गुणों का विकास किसी साधना से कम नहीं

भिलाई । अपने मंगल प्रवचन में आचार्य श्री विमर्श सागर महाराज ने कहा कि संसार में हमने जन्म लिया है जिससे हमने जन्म लिया है उसका भी सतत हमें स्मरण होना चाहिए। यह मनुष्य जन्म किसी साधना व तपस्या से कम नहीं है। इस साधना का आधार है मां जिसने 9 माह तक शिशु को अपने गर्भ में धारण किया । धन्य है वह मां जिसने 9 माह तक गर्भ में संतान को रखा उसका पालन पोषण किया । उसकी पीड़ाओं का ध्यान रखा । असहनीय दु:खों को सहकर एक मां अपने शिशु को जन्म देती है । जन्म लेने के बाद आंख खुलते ही दुनिया नजर आने लगती है । जो भी चीज प्रिय लगती है उसकी चाह करता है, मां लाख कष्ट सहन कर अपने पुत्र की हर इच्छा को पूरा करने का प्रयास करती है । मां शिशु के जन्म के पूर्व, जन्म के बाद और सच तो यह है पूरी जिंदगी भर पोषण करती है । इसका विचार नहीं करती कि मेरी संतान, मेरा पोषण करती है या शोषण करती है । मदर्स डे पूरी दूनिया मनाती है पर इसकी क्या महत्ता है, इसका किसको कितना बोध हो पाता है । मदर्स डे का अर्थ हे मां का दर्स डे, मां के दर्शन का दिन । सपूत रोज मां में मां के दर्शन करता है । उसे किसी विशेष दिन की जरूरत नहीं होती । सपूत विचार करता है कि वो मां है जिसने मुझे जन्म दिया, जीवन दिया, मेरे सारे जीवन की ऊंचाईयों के आधार में मां है ।  पूज्य श्री ने आगे कहा कि व्यक्ति अपने जीवन में जिन भी ऊंचाईयों पर पहुंचता है उन सभी ऊंचाईयों के आधार में मां होती है । परंतु व्यक्ति को अपनी ऊंचाईयां तो दिखाई देती हैं, सोचता है मैं अपनी काबिलियत से यहां पहुंचा हूं पर वो भूल जाता है कि उसे काबिल बनाने वाली मां ही है । 9 माह तक गर्भ में योग्य बनाती है फिर जन्म देकर श्रेष्ठ संस्कार देकर योग्य बनाती है । अगर मां तुझे इतना योग्य नहीं बनाती तो तू आज जिस ऊंचाई पर पहुंचा है शायद वहां तक कभी न पहुंच पाता । गर्भ काल के समय मां जिस दौर से गुजरती है वह किसी महान संत की साधना से कम नहीं है । वे माताएं  शिशु को जन्म देने से पूर्व अपने आप को योग्य बना लेना जिस प्रकार एक किसान फसल बोने से पहले भूमि को बोने योग्य बनाता है। गर्भ धारण करके शिशु के शरीर का विकास मात्र कर लेना कोई महत्वपूर्ण बात नहीं है । अपितू गर्भ काल में शरीर के साथ साथ उसमें गुणों का विकास करना भी माता की साधना व तपस्या है । इसलिए सदैव जन्मदात्री मां का सम्मान करना चाहिए । अगर जन्मदात्री मां न हो तो संसार से मुक्ति भी संभव नहीं है।

श्री त्रिवेणी जैन तीर्थ सेक्टर-6 के श्री 1008 पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में श्री शांतिनाथ भगवान के मंगल अभिषेक के साथ परम पूज्य आचार्य 108 श्री विमर्श सागर महाराज की अमृत वचनों से शांतिधारा करने का सौभाग्य प्रवीण छाबड़ा, निशांत जैन को मिला । इस अवसर पर अभिषेक करने वालों में महावीर प्रकाश निगोतिया, ज्ञानचंद बाकलीवाल, प्रदीप जैन बाकलीवाल, प्रशांत जैन, भरत गोधा, राकेश कासलीवाल, परमानंद जैन, नरेन्द्र जैन, राजेश जैन, सुनील जैन, संजीव जैन, अरुण बाकलीवाल, अनिल जैन, प्रदीप नाहर, प्रमोद नाहर, अशोक निगोतिया, अमित अजमेरा, सिंपी जैन आदि ने किया । आचार्य श्री संघ को मंगल गंधोदक प्रदीप जैन बाकलीवाल, प्रवीन छाबरा और भागचंद जैन ने मंगल आशीर्वाद लिए । आचार्य भक्ति के साथ आचार्य श्री के मंगल पूजन परम पूज्य मुनि राजों के साथ परमपूज्य आर्यिका माता जी सहित भक्त महिलाओं ने श्रीफल अर्पण कर मंगल पूजन आरती की ।

आज आहारचर्या और पडग़हन का सौभाग्य मानकचंद कासलीवाल परिवार को मिला। आज, दुर्ग भिलाई, रायपुर, राजनांदगांव आदि क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने आचार्य श्री को श्रीफल भेंट कर मंगल आशीर्वाद ग्रहण किया ।

Related Articles

Back to top button