रावघाट के प्रहरी सुरक्षा बलों ने जाना भिलाई का रोचक इतिहास

एसएसबी-बीएसएफ के जवानों-अफसरों ने सराहा भिलाई पर प्रस्तुतिकरण
भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट की रावघाट खदान क्षेत्र की सुरक्षा में अपने कत्र्तव्य का निर्वहन कर रहे सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने भिलाई का इतिहास जानने के उद्देश्य से पिछले दिनों दो अलग-अलग सत्रों का आयोजन किया। इन सत्रों में भिलाई के इतिहास पर केंद्रित किताब ‘वोल्गा से शिवनाथ तक’ के लेखक व पत्रकार मुहम्मद जाकिर हुसैन ने पीपीटी व आडियो-वीडियो आधारित रोचक प्रस्तुतिकरण दिया। दोनों सत्रों में सुरक्षा बलों के जवानों व अफसरों में भिलाई व इसकी खदानों के इतिहास से जुड़े कई सवाल पूछ कर अपनी जिज्ञासा शांत की।
एसएसबी क्षेत्रीय मुख्यालय (विशेष अभियान) भिलाई में हुए सत्र में बल के डीआईजी वी. विक्रमन ने लेखक मुहम्मद जाकिर हुसैन को प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि किताब ‘वोल्गा से शिवनाथ तक’ भिलाई के कई अंजाने और रोचक तथ्यों से रूबरू कराती है और जिसे भिलाई में जरा भी दिलचस्पी हो, इस किताब को जरूर पढऩा चाहिए।
इसी तरह बीएसएफ सीमांत मुख्यालय रिसाली भिलाई में आयोजित प्रस्तुतिकरण सत्र को संबोधित करते हुए महानिरीक्षक जेबी सांगवान ने कहा कि लेखक जाकिर हुसैन ने भिलाई कारखाना, शहर और इसकी खदानों से जुड़ा इतिहास पाठकों के समक्ष रोचक ढंग से लाने में कड़ी मेहनत की है। एक औद्योगिक शहर के बनने और बसने का सफर जानने पाठकों को यह किताब जरूर पढऩी चाहिए।
एसएसबी और बीएसएफ में अपने प्रस्तुतिकरण के दौरान लेखक मुहम्मद जाकिर हुसैन ने भिलाई से जुड़े कई रोचक तथ्यों से जवानों व अफसरों को रूबरू कराया। इस दौरान भिलाई पर केंद्रित फिल्म्स डिवीजन की डाक्यूमेंट्री ‘भिलाई स्टोरी’ का भी प्रदर्शन किया गया। लेखक ने अपने प्रस्तुतिकरण के दौरान बताया कि किस तरह 1955 में 6 जून की भरी दोपहरी में माइनस डिग्री वाले ठंडे मुल्क रशिया से कुछ इंजीनियरों की टीम अपने भारतीय इंजीनियरों के साथ पहली बार दुर्ग पहुंची थी। उन्होंने भिलाई से रशिया जाकर प्रशिक्षण लेने वाले भारतीय इंजीनियरों के पहले दल के साथ जुड़े किस्से और पहले रूसी चीफ इंजीनियर की आकस्मिक मौत के बाद उपजी परिस्थितियों को भी बताया। इसी तरह भिलाई के परिप्रेक्ष्य में प्रगतिशील रशियन इंजीनियरों के अंधविश्वास और उनकी कुछ अनूठी परंपराओं का उन्होंने विशेष उल्लेख किया। लेखक ने अपने प्रस्तुतिकरण में छह दशक में बदलते भिलाई की तस्वीरों के साथ जुड़े कई उल्लेखनीय तथ्य और भिलाई की संस्कृति का हिस्सा रहे रशियन परिवारों से जुड़ी बहुत सी रोचक बातें भी उन्होंने बताई। इसके साथ ही शहर की पहचान बन चुके कुछ महत्वपूर्ण भवनों के साथ जुड़े किस्से भी उन्होंने बताए। उन्होंने फिल्मों में इस्तेमाल भिलाई के महत्वपूर्ण दृश्यों पर भी जानकारी दी। प्रस्तुतिकरण के बाद मौजूद जवानों और अफसरों ने लेखक से भिलाई के इतिहास और वतर्मान से जुड़े कई सवाल भी पूछे। इस दौरान बीएसएफ के डीआईजी डॉ. एसके त्यागी, आईएस राणा, उम्मेद सिंह, प्रदीप कटियाल, कमांडेंट आरएस कंवर और अजय लूथरा सहित तमाम अफसर मौजूद थे।