Uncategorized

*कोरोनाकाल के प्रभावित परिवार पैसे व जमीन के लिए बैंको व तहसीलो के काट रहे चक्कर*

*(परिजनों को आर्थिक क्षति से उबारने शासन-प्रशासन की योजना व नीति का बमुश्किल मिल रहा)*

बेमेतरा:- वैश्विक महामारी कोरोनाकाल में प्रभावित परिवारों एवं परिजनों को इन दिनों हालात सामान्य होने के बाद बैकों एवं तहसील कार्यालयों के चक्कर काटने पर रहे है। सिस्टम की बनाई नई नई योजनाओं का लाभ आमजनता को जागरूकता के अभाव एवं कार्य के प्रोसेस में परेशानियों के चलते व्यवधान उत्तपन्न हो रहा है। उदाहरण स्वरूप किसी परिवार के सदस्य के कोरोना से मृत्यु हुई है, तो उनके लिए शासन-प्रशासन द्वारा अलग अलग कैटेगरी के हिसाब से कई योजनायें बनाई गई है। जिसका जानकारी के अभाव में उस परिवार को नही मिल पा रहा है।माना कि किसी कोविड मृतक के बच्चे अगर सरकार की महत्वाकांक्षी शिक्षा योजना स्वामी आत्मानन्द इंग्लिश मीडियम स्कूल में निशुल्क दाखिल लेना चाहता है, तो उनके अन्य परिजनों व परिवार वालो को जानकारी ही नही होती है। जबकि सरकार द्वारा विशेष छूट देकर प्राथमिकता दी जा रही है।जिससे निशुल्क शिक्षा पात्र व्यक्ति अपना लाभ नही ले या रहे है।वास्तव में ऐसी स्थिति गाँवो में ज्यादा देखने को मिल रही है। इसके अलावा सरकार के हेल्थ वर्कर्स, सेफ्टी वर्कर, एजुकेशन वर्कर, सफाईकर्मी सहित पत्रकार व अन्य कैटेगरी के लोग समय पर उचित जानकारी के अभाव में शासकीय योजनाओं के लाभ लेने से वंचित हो रहे है। जिससे सरकार की योजनाओं की उपयोगिता प्रभावित हो रही है।प्रशासन को लोगों को जागरूक कर समस्त योजनाओ से अवगत कराने का प्रयास करना चाहिए। वही इसके अलावा जागरूक व जानकर वर्ग के लोग इस योजना से लाभान्वित होने सिस्टम की कई चरण की बाधाएं व खामियों से गुज़रना पड़ रहा है। जिसके कारण कई योजना बीच मे अटक रही है। पीड़ित या प्रभावित परिवारों तक नही पहुंच पा रहा है।जिस पर शासन-प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है।

 

*ओरिजनल मृत्यु प्रमाण पत्र की उपलब्धता पर उपयोगिता भारी*
वर्तमान में देखा जाए तो प्रशासन द्वारा किसी परिवार के सदस्य की मृत्यु पर एक ही ओरिजनल डैथ सर्टिफिकेट जारी की जाती है, लेकिन शासकीय योजनाओं सहित बैंक व अन्य कई कार्यो में ओरिजनल सर्टिफिकेट की मांग की जा रही है। जिससे एक ओरिजनल सर्टिफिकेट की अनेक जगह मांग हो रही है। प्रशासन एक ही ओरिजनल प्रमाण पत्र जारी करता है वही सिस्टम कई ओरिजनल प्रमाण पत्र की मांग करता है जो आम आदमी के लिए असम्भव साबित हो रहा है।

*डैथ सर्टिफिकेट में मृत्यु का कारण न होना शासकीय योजनाओं के लिए बाधक*

फिलहाल वर्तमान में ऐसे कई मामले सामने आ रहे है जिसमे किसी परिवार के सदस्य की मृत्यु कोरोना से हुई है किंतु उनके डैथ सर्टिफिकेट में किसी तरह का मौत के बीमारी का कारण अर्थात कोविड डैथ का जिक्र नही है, जिसके चलते सरकार की योजनाओं में कई बाधक व व्यवधान पैदा हो रहा है। क्योंकि शुरुआत के दौर में बने डैथ प्रमाण पत्रों में बिना मृत्यु के कारण के डैथ सर्टिफिकेट जारी किया गया है।जबकि सरकार मृत्यु प्रमाण पत्र में बाकायदा कोविड से मौत की पुष्टि या सत्यापित प्रति मांग रहे है। जिसमें सिस्टम की खामी का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।

Related Articles

Back to top button