लघु वनोपज संघ की मुख्यमंत्री को बदनाम करने की साजिश Conspiracy to defame the Chief Minister of Minor Forest Produce Association
*लघु वनोपज संघ की मुख्यमंत्री को बदनाम करने की साजिश*
कांकेर – 2008 में केंद्रीय अनुसूचित जनजाति मंत्रालय से 32 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ को बस्तर और सरगुजा संभाग में केवल वनोपज से जुड़े, लघु उद्योग लगाने के लिए राशि दी गई थी, लेकिन 10 वर्ष तक भाजपा शासनकाल में इस पर कोई निर्णय नहीं लिया।
वर्तमान कांग्रेस सरकार में यह राशि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को संतुष्ट करने के लिए या खुश करने के लिये, उनके पाटन विधानसभा क्षेत्र, जो दुर्ग जिला में आता है, के ग्राम जामगांव एम, में लघु उद्योग लगाने का निर्णय लिया गया है, चर्चा यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री के निजी सचिव का जो बंगला नवा रायपुर में है जिसे राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ ने अपने पदाधिकारी के निवास के नाम पर उसे किराए पर लिया है और वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री के निजी सचिव रहे एक छोटी बच्ची के साथ व्यभिचार के मामले में जेल में है, जिन्हें हाल ही में 30 दिन की सशर्त जमानत, उच्च न्यायालय, बिलासपुर ने दी है, चूंकि नया रायपुर के उसी बंगले ही व्यभिचार की घटना हुई थी इसलिए वनोपज संघ के पदाधिकारी को वनोपज संघ का उच्चतम अधिकारी धमकाते रहता हैं कि मेरी बात मानो, नहीं तो आप भी पूर्व मुख्यमंत्री के, पूर्व सचिव के साथ व्यभिचार के मामले में फंस जाओगे।
भाजपा शासनकाल में सरगुजा संभाग के आदिवासी नेता मुरारी सिंह जब छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के अध्यक्ष थे, तब उन्होंने संचालक मंडल से एक प्रस्ताव पास किया था कि छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग और सरगुजा संभाग में केंद्रीय अनुसूचित जनजाति मंत्रालय से मिली राशि का लघु उद्योग लगाने के लिए स्थान का चयन किया जाए, उसमें सरगुजा संभाग के क्षेत्र भी शामिल थे और बस्तर संभाग के कांकेर जिला एवं दंतेवाड़ा जिला में लघु उद्योग लगाने का जगह भी चिन्हित कर ली गई थी। राशि भी एडवांस दे दी गई थी, लेकिन जब मुरारी सिंह का कार्यकाल समाप्त हुआ और इसके छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के अध्यक्ष, वन सचिव बने, तो उन्होंने विधानसभा के पास जीरो पॉइंट में जहां पर वन विभाग की जमीन है, वहां यह राशि ले जाने का निर्णय ले लिया।
लेकिन 2016 में जब पुनः छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ का संचालक मंडल निर्वाचित होकर आया, तो उस समय पूर्व में जो वन सचिव जो पदेन अध्यक्ष बने थे, के निर्णय को बदलते हुए पुनः बस्तर संभाग और सरगुजा संभाग में ही उपरोक्त राशि की आदिवासियों के हित में वनों पर आधारित लघु उद्योग लगाने का प्रस्ताव पास किया गया।
अरण्य भवन में जबरदस्त चर्चा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को योजनाबद्ध तरीके से बदनाम करने के लिए कुछ आईएफएस अधिकारी, उनके विधानसभा क्षेत्र और उनके जिले में उपरोक्त राशि से लघु उद्योग लगाने का जो निर्णय और जो प्रस्ताव छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ से 13 मई 2021 को पास करवाया है, अब इस उद्योग लगाने के लिए जो राशि केंद्र द्वारा दी गई थी, जिसे बैंक में रखा गया था और यह राशि वर्तमान में 51.96 करोड़ों रुपए हो चुकी है। उस राशि को सरकार को ट्रांसफर करने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के अधिकारियों द्वारा प्रक्रिया पूरा कर वन मंत्री मोहम्मद अकबर से अनुमोदन के लिए फाइल भेजी गई है, जो सूत्रों से जानकारी मिल रही है वन मंत्री ने फाइल को रोक लिया है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ का वर्तमान संचालक मंडल 100% भाजपाई है और इनका कार्यकाल नवंबर 2021 में समाप्त हो रहा है।
बस्तर संभाग और सरगुजा संभाग में 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा था और भाजपा का प्रदेश नेतृत्व इसलिए चुप है, केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर दुर्ग जिला के पाटन विधानसभा क्षेत्र (83) जो कि मुख्यमंत्री का क्षेत्र है, मे वह राशि जाने दीजिए, 2023 के विधानसभा चुनाव में इसे मुद्दा बनाया जाएगा। बस्तर संभाग में और सरगुजा संभाग में आदिवासियों के हित के लिए जो राशि आई थी, उसे आदिवासियों क्षेत्र की घोर उपेक्षा का अपने विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री ने यह राशि ले जाने में सफलता प्राप्त की।
एक बात और ध्यान देने लायक है कि संचालक मंडल में 4 आईएएस 6 आईएफएस भी सदस्य हैं, अगर निर्वाचित संचालक मंडल कोई गलत निर्णय करता है, तो उपरोक्त अधिकारी तो शासन के प्रतिनिधि होते हैं, कानून के जानकार होते हैं, उन्हें इस पर रोक लगानी चाहिए थी, आपत्ति दर्ज कराई जानी चाहिए थी।
यह मामला बहुत गंभीर प्रतीत होता जा रहा है और इस मामले में राजभवन का भविष्य में हस्तक्षेप होना लगभग तय है और उपरोक्त अधिकारियों पर भी भविष्य में कार्यवाही हो सकती है। अब देखें वन मंत्री मोहम्मद अकबर और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस पर आगे क्या कदम बढ़ाते हैं