पहले कपास तक का बड़ा रकबा था जिले में, समय के साथ घटता गया
अब राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत धान के बदले दूसरी फसले लेने पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि से दीगर फसलों का दायरा बढऩे की उम्मीद भी
कलेक्टर ने दुर्ग ब्लाक के अधिकारियों की बैठक में कहा कि फसल वैविध्य से होने वाले लाभ के संबंध में किसानों को जागरूक करना पहला लक्ष्य
दुर्ग। जिले का किसान पहले भी वैविध्य में काफी रुचि लेता था लेकिन अनेक वजहों से धीरे-धीरे केवल धान पर उसका फोकस होता गया। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत धान के बदले दूसरी फसल लेने पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि से यह उम्मीद बढ़ी है कि किसान धान के अलावा दूसरी फसलों की ओर भी प्रेरित होंगे और इससे कृषि वैविध्य बढ़ेगा। आज कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे की अध्यक्षता में दुर्ग ब्लाक में अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें कलेक्टर ने पूछा कि किस तरह से आप लोग किसानों को धान के बदले दूसरी फसल लेने प्रोत्साहित करेंगे। कृषि विस्तार अधिकारियों ने बताया कि हम सबसे पहले उन किसानों को लक्षित करेंगे जो बीते वर्षों में दलहन और तिलहन की फसल लेते रहे हैं और अब धान लेने लगे हैं। इन्होंने बताया कि सोयाबीन जैसी फसलों का रकबा काफी विस्तृत था। नगपुरा क्षेत्र के एआरईओ ने बताया कि दो-तीन दशक पहले इस क्षेत्र के किसान कपास की फसल ले रहे थे, इसका रकबा काफी अच्छा था सिंचाई की सुविधा नहीं होने की वजह से यह आगे नहीं बढ़ पाया। उन्होंने कहा कि अब सिंचाई की सुविधा बढ़ी है और प्रोत्साहन राशि भी सरकार द्वारा दी जा रही है इसलिए उम्मीद है कि किसान पुन: फसल वैविध्य की ओर बढ़ेंगे।
कलेक्टर ने बताया क्यों फसल वैविध्य इस वक्त की जरूरत- कलेक्टर ने अधिकारियों से कहा कि कई बातें हैं जिसके कारणों से किसानों के लिए फसल में वैविध्य लेना जरूरी है। सबसे पहली तो जमीन की गुणवत्ता है। फसल वैविध्य से ही मिट्टी की ऊर्वरता बढ़ती है। लगातार धान की फसल लेने से मिट्टी की ऊर्वरता पर असर पड़ता है। दूसरे शासन द्वारा धान के अलावा दूसरी फसल लेने पर दी जाने वाली दस हजार रुपए प्रति एकड़ की राशि है जिससे किसानों के लिए फसल का खर्च निकालना आसान होगा। तीसरी बड़ी चीज बीमा की सुविधा है जिसके माध्यम से किसानों के लिए रिस्क कवर भी आसानी से होगा। उन्होंने कहा कि बड़े किसान भी खेतों के अलग-अलग रकबे में अलग-अलग फसल ले सकते हैं इससे वैविध्य भी बढ़ेगा और आय की संभावनाएं भी विस्तृत होंगी। उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्रों में बाँस और सागौन का प्लांटेशन भी कर सकते हैं।
साइल कार्ड के मुताबिक देंगे सलाह- बैठक में योजना की नोडल अधिकारी अपर कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चैधरी ने कहा कि किसान को मिट्टी की गुणवत्ता के मुताबिक फसल लेने की सलाह दें। साइल कार्ड के आधार पर यह निर्णय लिया जा सकता है। इसके अलावा कुछ दलहन और तिलहन फसलों का जिनका क्षेत्र में उत्पादन का अच्छा ट्रैक रिकार्ड रहा है। उन्हें भी पुन: लगाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा सकता है। जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में टीम बनाकर किसानों से बातचीत करें जिनमें कृषि विस्तार अधिकारियों के साथ ही उद्यानिकी प्रक्षेत्र अधिकारी, वन विभाग के अधिकारी भी हों ताकि किसानों को योजना के बारे में पूरी तरह जानकारी देकर उसे इस ओर प्रेरित किया जा सके।