कोंडागांव: हाट बाजार में फुटकर व्यापार कर जीवनयापन करने वाले व्यापारी लाॅकडाउन से परेशान

जल्द सौंपेंगे ज्ञापन, मांगेंगे आर्थिक सहयोग एवं व्यापार करने की अनुमति
कोण्डागांव। हाट बाजारों में फुटकर व्यापार कर अपना व परिवार का भरण पोषण करने वाले फुटकर व्यापारियों के विगत वर्ष की तरह इस वर्ष भी लाॅकडाउन से परेशान होने तथा लगभग डेढ़ माह से चल रहे लाॅकडाउन से आर्थिक तंगी का सामना कर रहे होने के कारण शासन-प्रशासन से आर्थिक सहयोग एवं जल्द से जल्द हाट-बाजार चालू कर अन्य व्यापारियों की तरह उन्हें भी व्यापार करने की अनुमति देने हेतु जल्द ज्ञापन सौंपने की बात जानकारी में आई है।
ज्ञात हो कि जिला मुख्यालय सहित जिले के विभिन्न ग्रामों में लगने वाले हाट-बाजारों में कपडे, मनिहारी, जुता चप्पल, आलू प्याज आदि सहित किराने के सामान का फुटकर व्यापार परिवार का पालन पोषण करने वाले व्यापारीगण विगत वर्ष की तरह इस वर्श भी लंबा खिंचते जा रहे लाॅकडाउन से परेशान होते दिख रहे हैं। इसी मसले को लेकर फुटकर व्यापारी 25 मई को कोण्डागांव के साप्ताहिक बाजार स्थल में बैठक रखकर आपस में विचार विमर्ष करते दिखे। साप्ताहिक हाट-बाजार संघ के उपाध्यक्ष यश कुमार छाबड़ा ने संघ से जुडे फुटकर व्यापारियों की समस्या व परेशानियों के सम्बन्ध में पुछे जाने पर बताया कि पहले आंषिक, फिर सप्ताह ऐसा करते जिले में लगभग 45 दिन से लॉक डाउन जारी है। जब से जिला मुख्यालय सहित गांवों में लगने वाले हाट-बाजारों को बंद किया गया है, तब से हाट-बाजार संघ से जुड़े कोण्डागांव के लगभग 250 से 300 फुटकर व्यापारियों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। ऐसी ही स्थिति रही तो परेशानी और भी बढ़ सकती है।
उक्त समस्या से निजात पाने साप्ताहिक हाट-बाजार संघ से जुड़े व्यापारियों के साथ एक बैठक की गई। जहां सभी ने अपने अपने विचार प्रकट किए और अंततः सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि लगभग डेढ़ माह से चल रहे लाॅकडाउन से आर्थिक तंगी के कारण शासन-प्रशासन से आर्थिक सहयोग मांगने के साथ ही जल्द से जल्द हाट-बाजार प्रारंभ कर अन्य व्यापारियों की तरह उन्हें भी व्यापार करने की अनुमति देने हेतु ज्ञापन जल्द ही सौंपा जाएगा।
फुटकर व्यापारियों ने प्रेस को जानकारी दी कि उनकी भी वर्तमान में वैसी ही स्थिति है, जैसे कि एक मजदुर और किसान की। क्योंकि मजदुर और किसान की कमाई तभी तक होती है, जब तक वे काम करते हैं, वैसे ही फुटकर व्यापारी भी तभी कुछ कमा पाते हैं जब वे हाट-बाजार में जाकर विभिन्न वस्तुओं की फुटकर दुकानें लगाते हैं। यदि उन्हें हाट-बाजारों में दुकान लगाने की अनुमति नहीं मिली तो आगामी दिनों में उनका और उन पर आश्रित जनों का जीवनयापन कैसे हो सकेगा? अब देखने वाली बात यह होगी कि साप्ताहिक हाट-बाजार संघ से जुड़े फुटकर व्यापारियों पर शासन-प्रशासन कब मेहरबानी करता है।
http://sabkasandesh.com/archives/115271