छत्तीसगढ़

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) – CPI(M)* *छत्तीसगढ़ राज्य समितिभारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) – CPI(M)* *छत्तीसगढ़ राज्य समिति Communist Party of India (Marxist) – CPI (M) ** Chhattisgarh State Committee *

*भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) – CPI(M)*
*छत्तीसगढ़ राज्य समिति*
*नूरानी चौक, राजा तालाब, रायपुर, छग*

*सैन्य बलों के कैम्प का विरोध कर रहे आदिवासियों पर गोली चलाने की माकपा ने की निंदा, कहा : सैन्य समाधान स्वीकार्य नहीं, शांति बहाली के लिए हटाओ कैम्प*

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सुकमा जिले के सिलगेर गांव में सैनिक कैम्प बनाये जाने का पिछले तीन दिनों विरोध कर रहे आदिवासियों पर गोली चलाये, आंसू गैस के गोले छोड़े जाने तथा मारपीट किये जाने की तीखी निंदा की है और दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही करने की मांग की है। इस गोली चालन में तीन आदिवासियों के मारे जाने की पुष्टि प्रशासन ने की है।

आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवमंडल ने आदिवासियों के विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए थाने पर नक्सली हमला बताए जाने तथा प्रदर्शनकारी तीन ग्रामीण मृतकों को नक्सली प्रचारित किये जाने की भी भर्त्सना की है। पार्टी ने मृतक आदिवासियों को दस लाख रुपये तथा घायलों को दो लाख रुपये मुआवजा देने तथा उनका पूरा उपचार कराए जाने की भी मांग की है। पार्टी ने ग्रामीणों की मौतों को ‘राज्य प्रायोजित हत्याएं’ करार दिया है।

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि कांग्रेस सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के चलते प्रदेश के आदिवासी इलाकों में प्राकृतिक संसाधनों की लूट तेज हो रही है। आज बस्तर में हर पचास नागरिकों पर एक बंदूकधारी खड़ा है। बस्तर के इतने सैन्यीकरण के पीछे एकमात्र मकसद यही है कि बस्तर की जमीन पर कॉरपोरेटों के आधिपत्य को सुनिश्चित किया जाए।

माकपा नेता ने कहा कि इन नीतियों के खिलाफ पनप रहे असंतोष को दबाने के लिए यह सरकार भी अपने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की तरह ही सैन्य समाधान खोज रही है, जो आम जनता को स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की जनता यदि कैम्प नहीं चाहती, तो शांति बहाली के लिए सरकार को सैन्य कैम्प हटा लेना चाहिए। पराते ने कहा कि पेसा और 5वीं अनुसूची के प्रावधान भी सरकार को इस इलाके में मनमाने तरीके से सैनिक बलों के कैम्प खोलने की इजाजत नहीं देते। उन्होंने कहा कि इस इलाके का सैन्यीकरण आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि उनके अधिकारों के हनन और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकारों के दमन के लिए हो रहा है।

*संजय पराते*
सचिव, माकपा, छग
(मो) 094242-31650

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