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ममता बनर्जी की जीत BJP और राष्‍ट्रीय राजनीति पर क्‍या प्रभाव डालेगी?ममता बनर्जी की जीत भाजपा और राकां की राजनीति पर प्रभाव डालेगी?

नई दिल्‍ली :

में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के नेतृत्‍व वाली तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) का विजय रथ आगे बढ़ चुका है और पार्टी बहुमत के आंकड़े को पार कर चुकी है. टीएमसी (TMC) 200 सीटों से पार जा चुकी है, जबकि बीजेपी (BJP) ‘अबकी बार 200 पार’ के दावे के उलट 100 सीटों का आंकड़ा भी हासिल नहीं कर पाई है. इस तरह पिछले एक दशक से राज्‍य की सत्‍ता पर काबिज टीएमसी स्‍पष्‍ट तौर पर दोबारा सरकार बनाती दिख रही है

बीजेपी की तमाम कोशिशों, आक्रामक प्रचार, बड़े नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कराने के बावजूद भगवा दल का राज्‍य में सरकार ना बना पाना और टीएमसी की जीत कई मायनों में अहम है. टीएमसी और ममता की इस जीत का राष्‍ट्रीय राजनीति पर क्‍या प्रभाव होगा? यह जानना बेहद जरूरी हो गया है. आइये जानते हैं इस बारे में..

 

विपक्ष की राजनीति के लिए ममता का राष्‍ट्रीय राजनीति में कद बढ़ेगा…
वरिष्‍ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्‍लेषक हेमंत अत्री कहते हैं कि ‘पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी बहुत बड़ी फोर्स थी और लोकल चेहरा भी. उनका अपना एक काडर था और 10 साल से वह सरकार में थीं. BJP यहां केवल धन-बल और इंपोर्टेड कैंडिडेट के आधार पर लड़ रही थीं. सत्‍ता में आने के लिए जो ग्राउंड कनेक्‍ट बीजेपी को चाहिए था, वह नहीं था. अपना दल बदलकर बीजेपी में आए लोगों के सहारे पार्टी जितनी सीटें जुटा सकती थी, वह उसने जुटा लीं’. वह आगे कहते हैं कि ‘देखिए जबसे कांग्रेस कमजोर हुई है, तभी से जितने भी क्षेत्रीय दल हैं, वे सभी हाशिये पर जाते जा रहे हैं. ममता चूंकि विनर बनकर आ रही हैं तो निश्चित तौर पर उनका विपक्ष की राजनीति के लिए राष्‍ट्रीय राजनीति में कद बढ़ेगा, क्‍योंकि टीएसमी ऐसा क्षेत्रीय दल बन जाएगा, जो बंगाल जैसे राज्‍य में फ‍िर सत्‍तारुढ़ होगा.

तो राष्‍ट्रीय स्‍तर पर ममता विपक्षी गठबंधन का चेहरा होंगी? 

 

हेमंत अत्री का कहना है कि इसके दूसरे मायने ये भी हैं कि जो बीजेपी द्वारा 200 पार का नारा दिया जा रहा था, अगर बीजेपी को वह मिल जाता तो उसे राज्‍यसभा में बहुमत भी मिल जाता… तो ये केवल ममता बनर्जी की बंगाल की जीत नहीं होगी, ये राज्‍यसभा में भी बीजेपी को बहुमत की ओर जाने से रोक देगा. राष्‍ट्रीय राजनीति की जहां तक बात है, ममता का कद बढ़ेगा और वह एकजुट करने वाले बल के तौर पर आगे बढ़ सकती हैं. कल को अगर यूपीए की कोई सूरत बनती है तो उसमें संयोजक टाइप की पोस्‍ट इनके पास आ सकती है. तो एक तरह से वह विपक्षी गठबंधन का चेहरा होंगी’.

 

क्‍या यूपी-पंजाब के चुनाव पर भी होगा बंगाल के नतीजों का असर? 

वरिष्‍ठ पत्रकार हेमंत अत्री कहते हैं कि ‘अगले साल में देश का सबसे क्रूशियल यूपी का चुनाव है. फि‍र पंजाब का चुनाव भी है. टीएमसी की जीत से यह साफ संकेत हो सकता है कि बीजेपी अजेय नहीं है. बंगाल में जिस तरह से बीजेपी गई और पिछले 2 साल में उसने सारी पॉलिटिकल इनवेस्‍टमेंट की, उसी तरह से इनकी सबसे बड़ी इनवेस्‍टमेंट यूपी में है. चूंकि मायावती आजकल हाशिये पर हैं, तो अखिलेश की पार्टी में यह हौसला जरूर आएगा कि अगर ममता जीत सकती हैं तो हम क्‍यों नहीं. ठीक इस तरह से कैप्‍टन अमरिंदर को भी बल मिलेगा कि अगर ममता अपने दम पर जीत सकती हैं तो हम क्‍यों नहीं. उस तरह देशभर में एक माहौल बन सकता है.

 

 

 

 

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