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जब लालू भी एगो युवक आइल दारोगा के नौकरी खातिर पैरवी करावे, बना दिहले मंत्री When Lalu also pleaded for the job of a young man, Isle Daroga, he became a minister.

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री अउर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपना अलगे अंदाज से राजनीति में पहचान बनवले बाड़े. एही से लोग उनका के अजब भी बतावेला अउर लालू गजबो के कामो करेले. लालू अब चारा घोटाले के मामले में जेल से बाहर आ जइहें. उनका जमानत मिल गईल बा. अभी उ बीमार बाड़े अउर दिल्ली के एम्स में इलाज चल रहल बा. रिहाई के बाद भी लालू कुछ दिन अभी एम्स में ही रहिहें.

लालू भले अभी जेल अउर बीमारी के चक्कर में पड़ल बाड़े लेकिन एगो उहो समय रहे जब उ पूरा स्वस्थ रहले अउर शासन-प्रशासन_सियासत में मजबूत पकड़ रखत रहले. अपना चुटीला अंदाज से भी उ जानल जात रहले.बोले के अंदाज अ काम के तरीका उनकर निराला रहे. उनका बोले के अंदाज एतना चुटीला रहत रहे कि लोग के हंस-हंस के पेट फूल जात रहे. उनका एह अंदाज के विरोधी लोग भी कायल रहले. लालू आपन सियासी सूझ-बूझ से देश के शीर्ष नेता लोग के भी आपन लोहा मनवले रहले.

लालू आपन हुलिया अउर बातचीत के अंदाज से अपना के अइसन राखत रहले कि आम लोग के भी अइसन बुझात रहे कि लालू भी उनके जइसन बाड़े, उनका बीच के बाड़े. लालू केहू के अइसन-अइसन काम कर देत रहले जवना के उ आदमी सपना में भी ना सोचले रहत रहे इ घटना ओ समय के ह जब लालू बिहार के मुख्यमंत्री रहले. एक दिन सीएम आवास के बहरी एगो पेड़ के नीचे बइठल रहले. तबे उनका पास एगो युवक आईल. आपन नाम बतवलस सुरेश पासवान. लालू से कहलस कि दारोगा के नौकरी में सिफारिश करावे खातिर आइल बानी. ओकर बात सुनला के बाद लालू पूछले- तू थाना के दारोगा काहे बनल चाहत बाड़? तू बिहार के दारोगा बनअ. ओकरा बाद लालू युवक के चुनाव लड़े के सलाह दिहले. युवक कहलस कि हमरा पास त चुनाव लड़े के पइसे नइखे. तब लालू अपना पास से सवा लाख रुपया उ युवक के दिहले. संयोग से सुरेश पासवान चुनाव में विजयी हो गइले.

चुनाव लड़े खातिर लालू से मिलल सवा लाख रुपया में से सुरेश के पास 25 हजार रुपया बच गइल रहे. चुनाव जीतला के बाद उ 25 हजार रुपया लेके लालू के घर पहुंच गइले लेकिन लालू उ पइसा लिहले ना. सुरेश से कहले-इ पइसा तू अपना पास राखअ, आगे काम आई. 1997 में जब लालू बिहार में आपन सरकार बनवले त सुरेश पासवान के मंत्री बना दिहले. एह तरह से जवन युवक दारोगा के नौकरी के पैरवी करावे खातिर लालू के पास गइल रहे उ अब उनका कैबिनेट में मंत्री बन गइले. लालू प जयंत जिज्ञासु एगो किताब लिखले बाड़े जवना के नाम ह ‘लालू प्रसाद की अनकही दास्तान’ हिंदी में छपल इ किताब में लालू से जुड़ल कईगो अइसनके प्रसंग के चर्चा बा.

एगो अइसनके रोचक किस्सा शिवानंद तिवारी से जुड़ल बा.
शिवानंद तिवारी लालू के बहुत करीबी सहयोगी हवें. . कुछ समय तिवारी लालू के घुर विरोधी भी बन गइल रहले. शिवानंद तिवारी चारा घोटाला के शुरूवाती दिन के बात के याद करके कहत बाड़े- बिहार में चारा घोटाला के मामला भइल रहे. हमहुं ओकरा के उजागर करे वाला में शामिल रहनीं. लालू के साथ छोड़के समता पार्टी ज्वाइन कर लेले रहनीं अउर विधायक भी बन गइल रहनीं. ओने चारा घोटाला में लालू यादव के मुख्यमंत्री पद से हटे के पड़े अउर लालू जेल भी गइले.
लालू के जेल से निकलला के अगला दिन के बात ह सुबह के साढ़े छह से सात बजे के समय रहे चाय अउर अखबार लेके बइठल रहनीं. तब फोन के घंटी बाजल. जब फोन उठवनी त दोसरा ओर से आवाज आइल -रउरा फलाना नंबर से बोल रहल बानी. हम कहनी जी. त फिर आवाज आइल लीं बात करीं. अभी हम पूछले चाहत रहनीं कि केकरा से बात करीं, के बात करी. तबे ओने से लालू प्रसाद यादव के आवाज आइल- बाबा प्रणाम. शिवानंद तिवारी कहतरे कि अपवाद ह. केहु के एकर अइसन उदाहरण अउर कहीं ना मिल सकेला. कहे के मतलब इ कि लालू के अंदाज निराला ह उ दोसरा आदमी में ना मिल सकेेगा।

 

 

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