केशकाल: सुख-समृद्धि व खुशहाली कि कामना के साथ महिलाओं ने की गणगौर पूजा

केशकाल। प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी केशकाल में गणगौर की पूजा के अवसर पर विगत 29 मार्च से प्रतिदिन महिलाएं गणगौर की पूजा-अर्चना कर रही है। गणगौर दो शब्दों से मिलकर बना है,’गण’ और ‘गौर’। गण का तात्पर्य है शिव (ईसर) और गौर का अर्थ है पार्वती। वास्तव में गणगौर पूजन माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा का दिन है। गणगौर पूजा का आज 16वां दिन था जहां केशकाल के शिव मंदिर में सुबह नगर की महिलाओं व कुआंरी कन्याओं द्वारा भगवान इसर व मां गौरा की पूजा अर्चना किया गया। इसके पश्चात पूरे विधि-विधान के साथ भगवान इसर व मां गौरा की हल्दी, मेहंदी, सगाई की रस्म के बाद शाम को भगवान इसर की बारात भी निकाली गई। साथ ही भजन कीर्तन कर आज की पूजा का समापन किया गया।
आपको बता दें कि गणगौर होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक यानी 17 दिनों तक चलने वाला त्योहार है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां पार्वती ने भी अखण्ड सौभाग्य की कामना से कठोर तपस्या की थी और उसी तप के प्रताप से भगवान शिव को पाया। इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को तथा पार्वती जी ने समस्त स्त्री जाति को सौभाग्य का वरदान दिया था। माना जाता है कि तभी से इस व्रत को करने की प्रथा आरंभ हुई। इसी से प्रभावित होकर विवाह योग्य कन्याएं सुयोग्य वर पाने के लिए पूर्ण श्रद्धा भक्ति से यह पूजन-व्रत करती हैं। वहीं सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु व मंगल कामना के लिए शिव -गौरी पूजन करती हैं।
इसी क्रम में केशकाल में भी महिलाओं व कुआंरी कन्याओं द्वारा प्रतिवर्ष यह त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। महिलाओं का कहना है प्रतिवर्ष की परंपरा को जारी रखते हए इस वर्ष भी हमने गणगौर का पूजन किया है। हम गणगौर पूजन अच्छे घर और वर की कामना के लिए करते है। सभी सुहागिन महिलाएं परिवार में सुख समृद्धि खुशहाली के लिए गणगौर का पूजन करती हैं।