शासन की योजनाओं का जमीनी क्रियान्वयन में गांव प्रमुखो की बड़ी भूमिका – कलेक्टर

कलेक्टर परिसर में हुई गायता, पटेल, पुजारी एवं सरपंचो की एकदिवसीय कार्यषाला
‘नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी’ एवं नावा बेस्ट नार्र पर हुआ विचार मंथन
कोण्डागांव । ‘गायता, पटेल, पुजारी सदियो से बस्तर की ग्रामीण सामाजिक व्यवस्था की रीढ़ रहे है और आज भी प्रासंगिक है। शासन की योजनाओं की जमीनी क्रियान्वयन में उनकी बड़ी भूमिका हो सकती है। अतः सभी ग्राम प्रमुख ‘नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी’ एवं ‘नावा बेस्ट नार्र‘ अभियान को जन-जन तक पहुंचाने में अपना योगदान देवे।‘ जिला कलेक्टर नीलकंठ टीकाम ने आज कलेक्ट्रेट परिसर में जिले भर के ग्राम प्रमुखो के साथ आयोजित एकदिवसीय कार्यशाला में उक्ताषय विचार प्रगट किए।
कलेक्टर ने गायता, ग्राम पुजारी एवं पटेल के कार्य क्षेत्रो की व्याख्या करते हुए कहा कि गायता का मूल अर्थ होता है ज्ञाता अर्थात ऐसा ज्ञानी व्यक्ति जो गांव के इतिहास की जानकारी एवं सीमाओ की रक्षा में अपनी जिम्मेदारी निभाता है। इसी प्रकार पटेल का कार्य ग्राम के सुचारु शासन-प्रषासन एवं ग्राम पुजारी का दायित्व दैवीय शक्तियों के माध्यम से गांव के कुषल-मंगल एवं खुषहाली में अपना योगदान देना होता था। इस प्रकार ये तीनो ग्राम प्रमुख सदियो से बस्तर जिले की संपूर्ण सामाजिक व्यवस्था के आधार स्तम्भ रहे है तत्पष्चात पंचायती राज के आने के बाद सरपंच की भूमिका इनके साथ जुड़ गई है। इस संबंध में अगर शासन की योजनाओं के ठोस एवं टिकाउ क्रियान्वयन की बात करे तो हमें इन आधार स्तम्भों का सहयोग लेना होगा और वर्तमान में शासन की महत्वाकांक्षी ‘नरवा, गरुवा, घुरुवा एवं बारी’ योजनाओं का गांव-गांव में सफल क्रियान्वयन के लिए सभी ग्राम प्रमुखो का बड़ा योगदान होगा। उन्होंने आगे कहा कि ‘नावा बेस्ट नार्र अभियान भी ग्रामीण, स्वास्थ्य, पोषण, षिक्षा, रोजगार से जुड़ा हुआ अभियान है जिसका लक्ष्य एक आदर्ष गांव की स्थापना है नावा बेस्ट नार्र अभियान के तहत गांव-गांव में स्वच्छता, सुपोषण एवं स्वास्थ्य निगरानी समितियो का गठन किया गया है और इस समिति में ग्राम प्रमुखो के अलावा रोजगार सहायक, पटवारी, मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इत्यादि ग्रामीण कर्मचारी शामिल रहेंगे। इन सभी समितियों का दायित्व गांव के आंगनबाड़ी एवं स्वास्थ्य केन्द्रो के सुव्यवस्थित संचालन एवं निरीक्षण, पारा-मोहल्लो की साफ-सफाई, स्वच्छ पेयजल, शौचालयो का उपयोग, कृषि संबंधी योजनाओं का लाभ आम ग्रामीणों तक पहुंचाने का लक्ष्य होगा।
इस मौके पर अध्यक्ष जिला पंचायत देवचंद मातलाम ने शासन की योजनाओं पर प्रकाष डालते हुए कहा कि राज्य शासन द्वारा सुराजी गांव बनाने के लिए ‘नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी’ योजना प्रारंभ की गई है। यह योजना दरअसल हमारे गांवों की साझा समृतियों के पुनर्जागरण की योजना है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण समाज नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी’ के महत्व के बारे में अच्छे से परिचित था। गांव के निवासी जानते थे कि बारिश के पानी को किस तरह से रोका जा सकता है घ् गाये कितनी उपयोगी है घ् और घरों की छोटी बाड़ियों का क्या महत्व है घ् लेकिन कालातंर में यह भुला दिया गया, परंतु अब समय आ गया है कि इसकी उपयोगिता के बारे में गांवों के युवाओं को जानकारी दी जाए।
इसके साथ ही कार्यषाला में स्वास्थ्य विभाग द्वारा गैर संचारी रोग एवं मौसमी बीमारियों से बचाव और उपचार महिला बाल विकास विभाग द्वारा सुपोषण एवं बाल स्वास्थ्य तथा आदिम जाति विभाग द्वारा वनाधिकार पट्टा संबंधी विभिन्न विषयों पर प्रकाष डाला गया। कार्यषाला में सदस्य जिला पंचायत परनिया पटेल, सीईओ जिला पंचायत नुपूर राषि पन्ना, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास जी.एस.सोरी, सीएमएचओ डाॅ0 विरेन्द्र ठाकुर, जिला कार्यक्रम अधिकारी वरुण नागेष, सहायक संचालक कृषि बालसिंग बघेल, उप संचालक पशुधन डाॅ0 देवेन्द्र नेताम सहित बड़ी संख्या जिले के ग्राम प्रमुख एवं सरपंच मौजूद थे।
सबका संदेस ब्यूरो, कोंडागांव 9425598008