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SEC Railway Latest News: ICF की जगह अब LHB कोच.. दुर्ग-अंबिकापुर के यात्रियों को आरामदायक सफर की सौगात, रेलवे की बड़ी पहल

LHB coaches now available in Durg-Ambikapur-Durg Express

LHB coaches now available in Durg-Ambikapur-Durg Express : बिलासपुर: रेलवे प्रशासन द्वारा यात्रियों को आरामदायक एवं सुरक्षित यात्रा सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में बेहतर प्रयास किया जा रहा है। इस तारतम्य में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे से चलने/गुजरने वाली सभी गाड़ियों में योजनाबद्ध तरीके से पुराने पारंपरिक कोचों के बदले सुविधाजनक, आरामदायक और ज्यादा सुरक्षित नई तकनीक वाले एलएचबी कोच की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

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सफर होगा आरामदायक

इसी कड़ी में गाड़ी संख्या 18241/18242 दुर्ग-अम्बिकापुर-दुर्ग एक्सप्रेस में दुर्ग से 10 मार्च 2025 से तथा अम्बिकापुर से 11 मार्च 2025 से पारंपरिक कोचों के बदले एलएचबी कोच की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इसी प्रकार गाड़ी संख्या 18756/18755 अम्बिकापुर-शहडोल-अम्बिकापुर एक्सप्रेस में 11 मार्च 2025 से एलएचबी कोच की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इससे यात्रियों को बेहतर आरामदायक एवं सुरक्षित यात्रा की सुविधा मिल रही है।

एलएचबी कोच काफी सुरक्षित

LHB coaches now available in Durg-Ambikapur-Durg Express : उल्लेखनीय है कि एलएचबी कोच यात्रियों के लिए काफी आरामदायक व सुविधायुक्त होता है। रेल परिचालन की दृष्टि से एलएचबी कोच काफी सुरक्षित भी है। वर्तमान समय की मांग पर अगर स्पीड की बात की जाए तो ये कोच सामान्य कोचों की अधिकतम गति 110-130 कि.मी. की तुलना में 160 से भी अधिक की गति के लिए डिजाईन की गई है | एलएचबी कोच में हाइड्रोलिक सस्पेंशन का प्रयोग किया जाता है। वही दाएं बाएं मूवमेंट के लिए भी सस्पेंशन का प्रयोग किया गया है, जिससे सफर आरामदायक हो जाता है।

ICF (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) और LHB (लिंक हॉफमैन बुश) कोच के बीच मुख्य अंतर

ICF कोच (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री)

  1. निर्माण स्थान और स्थापना: ICF कोच चेन्नई, तमिलनाडु स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में निर्मित होते हैं, जिसकी स्थापना 1952 में हुई थी।

  2. सामग्री और वजन: ये कोच लोहे से बने होते हैं, जिससे इनका वजन अधिक होता है।

  3. ब्रेक प्रणाली: ICF कोच में एयर ब्रेक का उपयोग किया जाता है।

  4. गति क्षमता: इनकी अधिकतम अनुमेय गति 110 किमी प्रति घंटा है।

  5. रखरखाव खर्च: इनके रखरखाव में अधिक खर्च आता है।

  6. बैठने की क्षमता और लंबाई: इन कोचों में बैठने की क्षमता कम होती है (स्लीपर में 72, 3AC में 64 सीटें) और ये LHB कोचों से 1.7 मीटर छोटे होते हैं।

  7. दुर्घटना सुरक्षा: दुर्घटना के दौरान, ICF कोच एक-दूसरे के ऊपर चढ़ सकते हैं, क्योंकि इनमें ड्यूल बफर सिस्टम होता है।

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LHB कोच (लिंक हॉफमैन बुश)

  1. निर्माण स्थान और आयात: LHB कोच मूल रूप से जर्मनी से आयातित तकनीक पर आधारित हैं और भारत में कपूरथला, पंजाब स्थित रेल कोच फैक्ट्री में निर्मित होते हैं।

  2. सामग्री और वजन: ये कोच स्टेनलेस स्टील से बने होते हैं, जिससे ये हल्के होते हैं।

  3. ब्रेक प्रणाली: LHB कोच में डिस्क ब्रेक का उपयोग किया जाता है।

  4. गति क्षमता: इनकी अधिकतम अनुमेय गति 200 किमी प्रति घंटा है, और परिचालन गति 160 किमी प्रति घंटा है।

  5. रखरखाव खर्च: इनके रखरखाव में कम खर्च आता है।

  6. बैठने की क्षमता और लंबाई: इन कोचों में बैठने की क्षमता अधिक होती है (स्लीपर में 80, 3AC में 72 सीटें) और ये ICF कोचों से 1.7 मीटर लंबे होते हैं。

  7. दुर्घटना सुरक्षा: दुर्घटना के दौरान, LHB कोच एक-दूसरे के ऊपर नहीं चढ़ते हैं, क्योंकि इनमें सेंटर बफर कपलिंग (CBC) सिस्टम होता है।

इन विशेषताओं के कारण, LHB कोच यात्रियों के लिए अधिक सुरक्षित और आरामदायक माने जाते हैं, और भारतीय रेलवे धीरे-धीरे ICF कोचों को LHB कोचों से प्रतिस्थापित कर रहा है।

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