क्या महापौर के सरक्षण में चल रहा अवैध निर्माण का कारोबार
दुर्ग – दुर्ग की जनता ने दुर्ग निगम को 20 साल बाद युवा महापौर धीरज बाकलीवाल चुनकर दिया, शायद शहर की जनता ने ये सोचा होगा कि शहर में विकास की धारा बहानी है तो युवा उर्जावान जनप्रतिनिधि चुनों, लेकिन साल भर बाद भी दुर्ग की जनता को ना इंदिरा मार्केट के व्यस्त यातायात से राहत मिली ना ही अवैध अतिक्रमणकारियों से छुटकारा, शहर में जगह जगह गड्ढे बाकलीवाल सरकार की उपलब्धियों का आईना बन गए है ऐसा ही नजारा आज दुर्ग के पॉलिटेक्निक कॉलेज के बाजू में देखने को मिल रहा है जहा अवैध कब्जा धारियों का अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है, जो जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया है कोई कहता है कि ये महापौर के करीबी है तो कोई कहता है विधायक के करीबी है, और ये कुछ हद तक सही भी हो सकता है क्योकि जहां एक समय में एक गरीब व्यक्ति चाय का ठेला हुआ करता था उसको हटाकर वहां भवन निर्माण किया जा रहा है, जहा एक तरफ लाखो खर्च कर महापौर कार्यालय और एमआईसी भवन की साज सज्जा हो गई, वही दूसरी ओर अवैध भवन निर्माण, अवैध समाधि निर्माण और अतिक्रमण पर महापौर अभी भी मौन है, पीडब्ल्यूडी प्रभारी अब्दुल गनी मौन है, अब क्या शहर की आम जनता की भूमिका सिर्फ वोट डालने तक ही सिमित हो गई है, क्या बाकलीवाल सरकार सिर्फ सम्बन्धो के आधार पर कार्य कर रही है . एक तरफ जहा स्व. मोतीलाल जी वोरा के निर्माणाधीन समाधी स्थल पर महापौर मौन है वही दूसरी तरफ निगम प्रशासन भी ऐसे मामलो पर मौन धारण किये हुए है . दुर्ग शहर में कांग्रेस की सरकार आते ही अतिक्रमण का बोलबाला है शहर के रसूखदारों के आगे शहर सरकार नतमस्तक नजर आ रही है तो वही गरीबो के द्वारा किये अतिक्रमण पर निगम प्रशासन पूरी फौज के साथ त्वरित कार्यवाही करती नजर आ रही है . नव नियुक्त आयुक्त हरेश मंडावी कहने को तो शहर के पुरे 60 वार्ड का भ्रमण कर लिए किन्तु शिकायतों के बाद भी ऐसे अतिक्रमण पर कार्यवाही करने से बचते रहे है जिनका संबंध विधायक या महापौर से है, क्या इसी निति के लिए पूर्व आयुक्त का ट्रांसफर करवाने के लिए पूरी परिषद् लगी हुई थी . क्या निगम के प्रशासनिक मुखिया सिर्फ दिखावे के लिए कार्यवाही की बात करते है आज आधा माह से ज्यादा गुजरने के बाद भी निगम आयुक्त सिर्फ छोटी मोटी कार्यवाही कर बड़े बड़े मामले पर पर्दा डाले हुए है ! अब शहर में चर्चा आम है कि क्या आने वाले 4 साल भी नियमों की अनदेखी कर प्रशासन नतमस्तक रहेगा !