वेदांता समूह से जुड़े कैंसर अस्पताल में गरीबों का फ्री इलाज बंद होने के कारणों की जांच नई दिशा में

सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़ रायपुर- वेदांता समूह से जुड़े कैंसर अस्पताल में गरीबों का फ्री इलाज बंद होने के कारणों की जांच नई दिशा में मुड़ गई है, और नई राजधानी में इस समूह को 50 एकड़ जमीन के आवंटन में बड़ी गड़बड़ी सामने आ रही है। मिली जानकारी के अनुसार वेदांता को अस्पताल के लिए 2004 में 1 रुपए वर्गफीट में जमीन दी गई थी, लेकिन 2009 में आवंटन इसलिए रद्द कर दिया गया था क्योंकि वेदांता ने 3 साल में निर्माण के नियम का पालन नहीं किया था। ऐसे मामलों में आवंटन निरस्त करने के साथ-साथ संबंधित पार्टी को नोटिस जारी करने और ब्लैकलिस्ट करने का नियम है। लेकिन आवास पर्यावरण विभाग ने ऐसा नहीं किया, बल्कि सजा देने के बजाय इस समूह को जनवरी 2018 में बाकायदा 50 एकड़ जमीन पूरी दर पर आवंटित कर दी गई। इस गड़बड़ी के खुलासे के बाद अावास पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने पूरे मामले की जांच शुरू करवा दी है। डिफाल्ट करने वाले समूह को जमीन देने का आदेश किसने दिया? अब यह दस्तावेज निकलवाए जा रहे हैं।वेदांता कैंसर इंस्टीट्यूट को नया रायपुर में 50 एकड़ जमीन आवंटित करने के मामले को नई सरकार ने गंभीरता से लिया है।दिलचस्प बात यह है कि यह संभवत: पहला संस्थान है जिसके साथ दो बार पिछली सरकार ने अस्पताल के लिए एमओयू किया और उसे निरस्त किया गया। समूह के साथ 2008 में हुए दूसरे एमओयू में शर्त थी कि वेदांता अस्पताल में प्रदेश के गरीबों का इलाज फ्री होगा और अस्पताल का एक डायरेक्टर राज्य सरकार नियुक्त करेगी। इसका पालन नहीं होने की वजह से मंत्री अकबर ने फाइल खुलवाई थी। पता चला है कि गुरुवार को जब आवास मंत्री ने फाइलों की पड़ताल शुरू की, तब खुलासा हुआ कि फ्री इलाज और सरकारी डायरेक्टर की नियुक्ति वाले एमओयू को ही चुपचाप रद्द कर दिया गया था। कुछ साल बाद शासन की ओर से वेदांता को नया रायपुर में दोबारा पूरे रेट पर जमीन आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू की गई और अानन-फानन में 50 एकड़ जमीन आवंटित करके समूह से लगभग 36 करोड़ रुपए लिए गए। इसके बाद वेदांता ने जमीन की रजिस्ट्री भी करवा ली।
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