टार डिस्टिलेशन यूनिट में आग लगने की घटना बीएसपी अधिकारियों की लापरवाही का परिणाम
आउट सोर्सिंग में देने के चक्कर में अधिकारी मेंटनेंस में नही देते थे ध्यान
भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र में शुक्रवार को जिस कोक ओवन की टार डिस्टिलेशन यूनिट-1 (टीडीपी-1) में भीषण आग लगकर खाक हो जाने वाले इस यूनिट को बीएसपी आउट सोर्सिंग में देने पिछले तीन साल से कर रही थी कवायद। इसलिए यहां अधिकारी मेंटनेंस पर ध्यान नही दे रहे थे जिसके कारण इतनी बड़ी आगजनी की घटना हुई। इस आगजनी के हादसे को इसी का नतीजा माना जा रहा है।
बीएसपी प्रबंधन अन्य यूनिट की तरह कोक ओवन को भी आउटसोर्सिंग पर देना चाहती थी। बताया गया कि इसके लिए स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) की सेवा से सेवानिवृत्त हुए कुछ अफसरों द्वारा मिलकर बनाई गई कंपनी इसके लिए तैयार थी। कंपनी बैटरी ऑपरेशन को अपने हाथों में लेना चाहती थी लेकिन प्रबंधन पूरी यूनिट को देना चाहती थी। पूर्व सीइओ एस. चंद्रसेकरन के कार्यकाल में फाइल आगे बढी थी लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई थी, इसके बाद एम रवि के कार्यकाल में फाइल फिर निकाली गई लेकिन आउटसोर्सिंग पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन देर सबेर यूनिट को निजी हाथों में सौँपने की मंशा को लेकर प्रबंधन ने इधर से ध्यान हटा लिया। इसलिए यहां मेंटनेंस की कमी के कारण शुक्रवार को भीषण आग लग गई थी। संयंत्र के कोक ओवन की यह यूनिट 50 साल से भी पुरानी है। 1969 के अंत में यह यूनिट शुरू हुई थी। तब से लगातार उत्पादन जारी है।
कमाऊ यूनिट थी टीडीपी-1
कोक ओवन की इस यूनिट में नैफ्थलीन, टार जैसे बायप्रोडक्ट बनते थे, निजी उद्योग हाथोंहाथ इसे खरीद लेते हैं। जानकारों का तो यहां तक भी कहना है कि कई बार बाइप्रोडक्ट की इतनी डिमांड आती है कि संयंत्र के कर्मियों व अधिकारियों के पूरे एक महीने के वेेतन के बराबर कमाई इसी एकमात्र यूनिट से हो जाती थी।
प्रबंधन द्वारा बनाई कमेटी ने शुरू की जांच
हादसे की जांच के लिए अधिशासी निदेशक सामग्री प्रबंधन डॉ. एसके खैरुल बसर की अगुवाई में गठित कमेटी ने हादसे के कारण, जिम्मेदार और नुकसान का आंकलन शुरू कर दी है। कमेटी अपनी रिपोर्ट संयंत्र के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को सौंपेगी।