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दक्षिण भारत यात्रा के तहत श्री शैल पर्वत पर विराजमान द्वादश ज्यौतिलिंगों में से एक मल्लिकार्जुन महादेव

साल के दुसरे हफ्ते में चांपा सेवा संस्थान के सौजन्य से देव-दर्शन का आनंद लोगों ने उठाया ।

*नया साल-2023 यानि कि चांपा सेवा संस्थान,चांपा के संग दक्षिण भारत यात्रा पर मंज़िल की नई शुरुआत सबसे पहले श्री शैलम मंदिर का दर्शन ।*

न्यूज़ क्रिएशन । श्रीशैलम् पौराणिक ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक रुप में प्रसिद्ध नगरी हैं । कहा जाता हैं कि विजयनगर साम्राज्य के पतन केबाद श्रीशैल राज्य की दशा ठीक नहीं थी । मुगलकाल और हैदराबाद नवाब के कार्यकाल में भी स्थिति जब की तस बनी रही । देवस्थान कमेटी की देखरेख में इस क्षेत्र का कायाकल्प हो गया‌ । धार्मिक मान्यता हैं कि श्री शैलम महादेव के दर्शन से मनुष्य को पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती हैं । इन्हीं मान्यता को ध्यान में रखते हुए सड़क मार्ग से श्री शैल मल्लिकार्जुन के दर्शन और पूजन की इच्छा लिए 1500 यात्रियों ने दर्शन किया । यात्रा वृतांत की जानकारी देते हुए शशिभूषण सोनी ने बताया कि दिन भर रेल्वे की थकान यात्रा को भूलकर यहां के प्रकृति के मनमोहक दृश्य को देखकर सब कुछ भूल गए । 2500 फीट की ऊंची पहाड़ी पर स्थित यह क्षेत्र चारों ओर पहाड़ियों और उन्हें जंगलों से आच्छादित हैं । दक्षिण भारत के तमिलनाडु में कृष्णा नदी के तट पर दक्षिण भारतीय शैली में बना श्रीशैल पवित्र तीर्थ हैं , इसे दक्षिण का कैलाश कहा जाता हैं । इसका शिखर भव्य और कलात्मक हैं। शिखर के दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं । इसी शैली पर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्मय लिंग स्थित हैं । मंदिर की बनावट और सुंदरता बड़ी ही विलक्षण हैं और चारों तरफ परकोटा बना हुआ हैं । मंदिर में एक बड़े आंगन से गुजरते हुए एक ओर अष्ट भैरव की मूर्ति स्थापित हैं तो दुसरी ओर गंधर्व नृत्य कला,देवी महिषासुर का रुप ,दंत यंत्र अष्ट दिकूपाल आदि की प्रतिमाएं शिला पर खुली हुई हैं । रविंद्र कुमार पाण्डेय व श्रीमति शशिप्रभा सोनी ने बताया कि बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर पर दर्शन के लिए पहुंचें । महादेव का मंदिर बहुत ही छोटा-सा हैं,हमनें इसे छूकर स्पर्श किया । मंदिर के साथ ही देवी पार्वती का सिद्ध शक्तिपीठ हैं, जो भ्रमरांवा देवी के नाम से जाना जाता हैं । कहा जाता हैं कि त्रेतायुग में भगवान श्री रामचंद्र जी ने यहां आकर मूर्ति स्थापित किया ,इसके अंदर और बाहर दिलवालों पर रामायण में वर्णित लीलाओं के कई शिल्पकला देखने लायक हैं ।

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